Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

पिता खून देने के लिए भड़कता रहा, बेटे ने आंखों के सामने तोड़ा दम

img_20161126100338Lucknow में एक पिता अपने बेटे की जान बचाने के लिए लोगों के सामने Blood डोनेट करने के लिए गिड़गिड़ाता रहा। मगर किसी ने भी बच्चे को खून नहीं दिया। इसके चलते बच्चे की father के सामने ही मौत हो गई।ओमप्रकाश चौरसिया अपने परिवार के साथ लखनऊ के नगराम ईलाके में रहते हैं। वह मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। ओमप्रकाश चौरसिया ने बताया कि उनका बेटा अमित (12) एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित था। उसका ब्लड ग्रुप A+ था। सोमवार को उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। डॉक्टरों ने उसे दो यूनिट ब्लड चढ़ाया, जो ओमप्रकाश और उनके एक परिचित ने दिया था। इसके बाद भी खून की कमी बताते हुए डॉक्टरों ने दो और यूनिट का इंतजाम करने को कहा। ओमप्रकाश ने बताया कि डोनर न होने पर उन्होंने दोबारा खून देने की बात कही, लेकिन उनका खून लेने से इनकार कर दिया गया।पिता का आरोप है कि मरीज की हालत गंभीर होने पर बिना डोनर के ब्लड देने का नियम है, लेकिन काफी गिड़गिड़ाने के बाद भी उनकी नहीं सुनी गई। बुधवार को अमित की हालत गंभीर बताते हुए उसे केजीएमयू रेफर कर दिया गया। वह अमित को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल आ गए। वहां दो दिन भर्ती रखने के बाद शुक्रवार को डॉक्टर ने मरीज को ब्लड चढ़ाने की सलाह दी। वह केजीएमयू के ब्लड बैंक गए, लेकिन डोनर न होने के कारण ब्लड नहीं मिल सका। इस पर वह अमित को डिस्चार्ज करवा के निजी एंबुलेंस से ट्रॉमा सेंटर ले गए। गेट पर पहुंचने के बाद जब अमित को बाहर निकाला तो उसकी सांसें थम चुकी थीं। कैजुअल्टी में ले जाने पर डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। वहीं लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर ओमकार यादव का कहना है कि सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में A+, B+ और O+ ब्लड ग्रुप की पांच यूनिट एक्सपायर हो गई। डोनर न होने की वजह से गंभीर मरीज को ब्लड न देना गंभीर मामला है। मामले की जांच करवाई जाएगी। गंभीर मरीजों को बिना डोनर के भी ब्लड दिया जाता है।मां हो गई बेहाश बेटे अमित को बचाने के लिए ओमप्रकाश लोहिया अस्पताल से केजीएमयू के ब्लड बैंक तक चक्कर लगाते रहे मगर उन्हें ब्लड नहीं मिला। ट्रॉमा सेंटर के गेट पर ही अमित ने दम तोड़ दिया। यह देख उनकी पत्नी बेहोश हो गईं। इस घटना के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है। ओमप्रकाश का आरोप है कि अगर अस्पताल प्रबंधन ब्लड देने में कोई लापरवाही न करता तो उसके बेटे की जान बच सकती थी। वह अपने बेटे के लिए भटकता रहा। मगर किसी ने उसे ब्लड नहीं दिया। अगर समय से बेटे को ब्लड मिल जाता तो उसकी जान बच जाती।

Leave a Reply

Your email address will not be published.