Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

पांच दिनों तक लाकअप में बरपता रहा निर्दोष किशोरी व महिलाओं पर पुलिस का कहर

देव श्रीवास्तव |

सिंगाही-खीरी। 
25 फरवरी को जिला मुख्यालय स्थित सर्राफा की दुकान से हुई चोरी के मामले में पांच दिन पहले पुलिस ने थाना सिंगाही से तीन और लखीमपुर से एक किशोरी व उसकी मां को शक के बिना पर हिरासत में लिया था। लेकिन पुलिस का बर्बर रूप तब सामने आया जब शक को सच्चाई तक लाने के लिए पांच दिनों तक पुलिस ने उनकी बेरहमी से पिटाई की। हालांकि पिटाई के बावजूद चोरी जैसा कृत्य करने से इंकार करने के चलते पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तब तक किशोरी की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी। छोड़े जाने के बाद गंभीर हालत में किशोरी व दो अन्य महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया जहां किशोरी की हालत नाजुक देख चिकित्सक ने सीएचसी ले जाने को कहा। सीएचसी लाने पर चिकित्सकों ने जिला मुख्यालय भेज दिया। 
  गौरतलब रहे कि 25 फरवरी 2018 को जिला मुख्यालय स्थित एक सर्राफा की दुकान में चोरी हुई थी। इस कड़ी में पुलिस ने 6 मार्च को शक के आधार पर थाना सिंगाही के सिंगहा गांव निवासी शहनाज पत्नी इरफान, अजीम, शाल्या पत्नी कलीमुन को पकड़ा। वहीं लखीमपुर के नौरंगाबाद में रिश्तेदारी में आई नाबालिग किशोरी रानी और उसकी मां शायरा बानों को भी गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि महिलाओं को महिला थाने ले जाया गया जहां पांच दिनों तक अपराध कुबूलवाने के लिए महिलाओं व किशोरी की बेरहमी से पिटाई की गई। इतनी पिटाई के बावजूद महिलाएं व किशोरी अपराध में संलिप्तता से इंकार करती रहीं। पांच दिनों तक अपने बयान से टस से मस न होने पर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। 
  परिजन सभी को घर लेकर आए। वहां किशोरी रानी की हालत पहले से ही खराब थी। कुछ देर बाद शहनाज और शाल्या की भी हालत बिगड़ गए। तीनों को परिजनों ने स्थानीय प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। वहां शहनाज और शाल्या तो ठीक हो गईं लेकिन रानी की हालत देख चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। उसे निघासन सीएचसी ले जाने की हिदायत दी गई। सीएचसी लाने पर वहां के भी चिकित्सकों ने बस के बाहर की बात बताकर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने रानी को लाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। 

निर्वस्त्र कर हुई थी पिटाई:रानी

गंभीर हालत में पहुंच चुकी रानी ने पुलिस प्रताडऩा की आपबीती सुनाई। रानी ने कहा कि उसे, उसकी मां व अन्य महिलाओं को महिला थाने में बेरहमी से पीटा गया। महिला पुलिस ने उन्हें निर्वस्त्र कर लगातार पांच दिनों तक पिटाई की। रानी ने महिला थाने में तैनात जूली पर सबसे ज्यादा पीटने का भी आरोप लगाया। 

गुस्से और दर्द में जूली के लिए किया अपशब्द का भी प्रयोग

महिला पुलिस खासकर जूली की पिटाई से रानी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। मीडिया को बयान देते समय रानी इस कदर दर्द और आक्रोष से जूझ रही थी कि उसने जूली के लिए अपशब्द का भी प्रयोग कर दिया। 
बगैर इलाज कराए अपने हाल पर छोड़ दिया
महिलाओं को शक के बिना पर गिरफ्तार किया जाता है। पांच दिनों तक बेरहमी से पीटा जाता है। अपराध न कुबूलने पर उन्हें निर्दोष मानकर छोड़ भी दिया जाता है। लेकिन उनकी तबियत और इलाज कराने की जरूरत पुलिस महसूस नहीं करती है।  इंसानियत को शर्मसार करने वाले पुलिस के इस कारनामे की हर ओर निंदा हो ही है। लोगों ने कहा कि यदि महिलाएं निर्दोष थीं तो पुलिस को छोडऩे से पहले उनका इलाज भी कराना चाहिए था। 

एप्वा ने जताया विरोध

घटना पर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ने भी नाराजगी जताई। एपवा नेता अनीता व आइसा संयोजक राजश्री जिला चिकित्सालय पहुंची। वहां उन्होंने पीडि़त से मुलाकात करते हुए उसे न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। अनीता व राजश्री ने कहा कि भाजपा सरकार में पुलिस उत्पीडऩ की घटना ने साबित कर दिया कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं। उन्होंने दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की मांग की। 

लगाए जा रहे आरोप गलत:एसओ

महिला थाना एसओ हंसमती ने लगाए गए आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि उनके यहां 6 मार्च को कोई भी महिला नहीं लाई गई। न ही किसी को पांच दिनों तक बंधक बनाकर पीटा गया है। आरोपित जूली के बावत पूछने पर उन्होंने कहा कि वह पहले थाने में थी। अब कहां हैं इस बारे में उन्हें कुछ नहीं मालूम। कुल मिलाकर महिला एसओ का बयान केवल बचाव वाला नजर आ रहा है।