नई दिल्ली : नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले लोकसभा चुनाव 2014 के प्रचार के दौरान देश की जनता से वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही 100 दिनों के अंदर वह विदेश में मौजूद कालेधन को वापस ले आएंगे। चुनावी प्रचार के समय मोदी ने काले धन को मुद्दा बनाया था। मोदी की सरकार बनने के बाद विपक्ष हमेशा ही उनके वादे को याद दिलाता रहा है। मोदी सरकार ने नोट बैन से पहले काले धन को लगाम लगाने के लिए पांच अहम फैसले किए हैं।
मोदी सरकार के अहम फैसले
एसआईटी का गठन
सत्ता की बागडोर संभालते ही मोदी ने अपना पहला अहम फैसला मई 2014 में लिया। विदेशों में जमा कालेधन का पता लगाने के लिए रिटायर सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में स्पेशल जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। इस एसआईटी को कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए रिपोर्ट देने का काम दिया गया।
काला धन विधेयक
मई, 2015 में मोदी सरकार ने काला धन विधेयक को संसद से पास करवाया। इस विधेयक में अघोषित विदेशी संपत्ति और इनकम पर जुर्माने के साथ 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया. इस कानून के तहत तीन महीने के अंदर कालेधन का खुलासा कर 60 फीसदी टैक्स देने का प्रावधान किया गया।
वॉलंटरी इंनकम डिसक्लोजर स्कीम
बेनामी संपत्ति पर लगाम
अगस्त 2016 में बेनामी संपत्ति पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून को संसद से पास कराया। इसके तहत जब कोई व्यक्ति किसी कानून के प्रावधान की अवहेलना करने, या देय बकाए के भुगतान को नजर अंदाज करने या लेनदारों, संपत्ति के मालिक, बेनामी दान के भुगतान को नजरअंदाज करने के बेनामी सौदा करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है तो उसे कम से कम छह महीने की जेल की सजा होगी। इस सजा में जुर्माने के साथ दो साल की सजा हो सकती है. बेनामी संपत्ति भ्रष्टाचार के जरिए कमाए गए कालेधन को छिपाने का आसान तरीका है।
ऑटोमैटिक इंफॉर्मेशन ट्रांसफर
अमेरिका और स्विटजरलैंड समेत कई देशों के साथ भारतीय नागरिकों के विदेशी बैंक खातों के ऑटोमैटिक इंफॉर्मेशन ट्रांसफर पर अहम समझौते किए गए।