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नोटबंदी ने किया क्राइम को कंट्रोल

cyber-crime-police-1अपराधों में 33 पर्सेंट की कमी आ गई है। फिरौती के लिए अपहरण की एक भी वारदात नहीं हुई। लूटपाट की संख्या आधी रह गई। जबरन वसूली में भारी गिरावट आई। झड़पों की घटनाएं बढ़ गईं, जिसकी वजह बैंकों के बाहर लगी लाइनें मानी जा रही हैं। नोटबंदी ने ब्लैकमनी रखने वालों और आम आदमी को ही प्रभावित नहीं किया, बल्कि अपराधियों पर भी गहरा असर डाला है। उन्हें अपने टारगेट बदलने पड़ गए हैं। सभी थानों के रिकॉर्ड के मुताबिक, नोटबंदी के बाद एक महीने में 9 नवंबर से 8 दिसंबर तक हथियारों के बल पर 315 कैश रॉबरी हुई हैं। पिछले साल 561 कैश रॉबरी हुई थी। पुलिस अफसर मान रहे हैं कि लूटपाट में इस 44 पर्सेंट की गिरावट की वजह लोगों के पास कैश की कमी रही है। फिरौती के लिए एक भी अपहरण नहीं हुआ, जबकि पिछले साल इस दौरान फिरौती के लिए अपहरण हुए थे। पुलिस इसकी वजह मान रही है कि कैश की कमी की वजह से अपराधी गिरोहों को इन हालात में फिरौती मिलने की उम्मीद नहीं है।

जबरन उगाही तो 55 पर्सेंट कम हो गई है। नोटबंदी के अगले दिन से 8 दिसंबर तक एक्सटॉर्शन की 9 वारदातें हुईं, जबकि पिछले साल इन्हीं तारीखों के दौरान 20 वारदात हुई थीं। हालांकि डकैती पिछले साल के इन 30 दिनों में दो हुई थी और इस बार भी दो ही हुई हैं। मर्डर में भी कमी आ गई। पिछले साल 49 मर्डर हुए थे और इस बार 44 हुए हैं। हत्या के प्रयास में भी कमी आ गई। पिछले साल हत्या के 66 प्रयास हुए थे और इस बार 36 हुए हैं। मगर रेप की संख्या लगभग समान है। पिछले साल इस दौरान 156 रेप केस दर्ज हुए थे और इस बार 151 रेप केस दर्ज हुए हैं।
झपटमारों की हरकतें भी कम हो गईं। पिछले साल 843 स्नैचिंग हुई थी, इस बार 734 स्नैचिंग हुई हैं। पुलिस अफसरों के मुताबिक नोटबंदी के बाद इस क्राइम में आई 13 फीसदी की गिरावट की वजह यह हो सकती है कि स्नैचर लूट की कमाई के नोट एक्सचेंज कराने में बिजी रहे। छेड़छाड़ भी घटी है। इनकी संख्या 377 से घटकर 256 हो गई।
नोटबंदी के ऐलान के बाद कुछ खास तरह के जुर्म बढ़ गए हैं। सेंधमारों ने घरों और दुकानों के ताले तोड़ कर कैश और गोल्ड की चोरी बढ़ा दी है। पिछले साल 1,075 सेंधमारियां हुई थीं, जो इस बार बढ़कर 1,136 हो गई।

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