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नेपाल में वाम गठबंधन बड़ी जीत की ओर, अबतक 49 में से 40 सीटें जीती

नेपाल में संसद और सात प्रांतीय असेंबली के लिए एक साथ कराए गए चुनाव में वाम गठबंधन बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापसी करता दिख रहा है। शनिवार को संसद की जिन 49 सीटों का परिणाम घोषित किया गया, उनमें से गठबंधन ने 40 सीटें जीती हैं। सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस को महज छह सीटों से संतोष करना पड़ा है।

नेपाल के चुनाव आयोग द्वारा अभी तक घोषित परिणामों के मुताबिक, केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) ने 28 सीटें जीती हैं वहीं उसकी सहयोगी और पुष्प कुमार दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन माओवादी सेंटर को 12 सीटों पर जीत मिली है। पिछले चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी और भारत के साथ करीबी संबंध रखने वाली नेपाली कांग्रेस को इन चुनावों में करारा झटका लगा है। इसके अलावा फेडरल सोशलिस्ट फोरम नेपाल और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। अभी तक कुल 49 सीटों का परिणाम घोषित किया गया है।

देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल और बाबूराम भट्टराई भी चुनाव जीत गए हैं। सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता माधव नेपाल काठमांडू-2 जबकि नया शक्ति पार्टी के अध्यक्ष भट्टराई ने गोरखा-2 सीट से जीत दर्ज की है। फेडरल सोशलिस्ट फोरम नेपाल के उपेंद्र यादव सपतारी-2 से चुनाव जीतने वाले पहले मधेशी नेता बने हैं। वहीं प्रांतीय असेंबली में अब तक सीपीएन-यूएमएल ने 27, माओवादी सेंटर ने 19 और नेपाली कांग्रेस ने छह सीटें जीती हैं। नया शक्ति और निर्दलीय के खाते में भी एक-एक सीट आई है।

दो चरणों में निर्वाचन

नेपाल में कुल 165 संसदीय और प्रांतीय असेंबली की 330 सीटें हैं। इनमें से नेपाल में संसद की 128 और सात प्रांतीय सभाओं की 256 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ था। पहले चरण में 26 नवंबर को 32 जिलों में चुनाव हुआ। इसमें प्रतिनिधि सभा के लिए 37 निर्वाचन क्षेत्र और प्रदेश सभा के लिए 74 निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान हुआ था। पहले चरण में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। दूसरे चरण में 45 जिलों में मतदान हुआ। इसमें प्रतिनिधि सभा सदस्य के लिए 128 निर्वाचन क्षेत्र और प्रांतीय असेंबली के लिए 256 निर्वाचन क्षेत्र के लिए वोटिंग हुई। दूसरे चरण में 67 प्रतिशत मतदान हुआ।

2015 में नए संविधान के बाद बने सात राज्य: नेपाल ने 2015 में नए संविधान को अपनाया था। देश में पहली बार सात प्रांतीय सभाओं का गठन हुआ। पर इसके बाद नेपाल में क्षेत्र और अधिकारों को लेकर समुदायों में झड़प शुरू हो गई। इसमें दर्जनों लोग मारे गए। भारतीय मूल के मधेसी समुदाय ने आरोप लगाया कि उसे राज्य में कम हिस्सा मिला और उसके साथ भेदभाव हुआ। यह चुनाव संविधान लागू करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस चुनाव पर दुनिया की नजर: नेपाल के इस चुनाव को संघीय लोकतंत्र की दिशा में आखिरी कदम माना जा रहा है। संसदीय चुनाव में 1663 और प्रादेशिक सीट पर 2,819 प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि इन चुनावों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों को उम्मीद है कि इससे हिमालयी देश में राजनीतिक स्थिरता आएगी, क्योंकि पिछले वर्षों में करीब एक दशक तक चले गृहयुद्ध में यहां 16 हजार लोगों की जान जा चुकी हैं। इस चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है। यूरोपीय यूनियन ने यहां 100 से ज्यादा अपने आब्जर्वर तैनात किए हैं।