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नूर नहीं चढ़ा पाई सुरूर

फिल्म– ‘नूर’.

सर्टिफिकेट–U/A

रेटिंग– 2

अवधि –116 मिनट

स्टारकास्ट– सोनाक्षी सिन्हा, पूरब कोहली, शिबानी डांडेकर, कनन गिल

प्रोड्यूसर – भूषण कुमार

डायरेक्टर – सुनील सिप्पी

लेखक –इशिता मोइत्रा

कहानी-. ‘नूर’ कहानी है एक ऐसे पत्रकार की जो जिंदगियों  से जुड़ी ख़बरों को तवज्जो देती है पर उसका बॉस उसे उन कहानियों से दूर रखता है. इसके चलते नूर यानी सोनाक्षी को अपनी ज़िंदगी और काम दोनों बेरंग लगने लगते हैं. फिर एक दिन नूर के हाथ लगती है एक ऐसी ख़बर जिससे उसे अपने सपने पूरे होते नज़र आते हैं.

इसी बीच नूर को एक ऐसे गैंग की कहानी का पता चलता है जो बहुत बड़ा रैकेट चलाता है और जिसमें शहर के बड़े-बड़े लोग भी इन्वॉल्व हैं. वो ये स्टोरी करती भी है लेकिन उसकी स्टोरी चोरी हो जाती है. टूटे हुए सपनों के सहारे चलने वाली नूर की जान ख़तरे में पड़ जाती है और फिर किस तरह नूर अपनी ग़लतियों को सुधारती है और उस लक्ष्य तक पहुंचती है जो कभी उसने तय किया था ये कहानी है नूर की…क्या है वो लक्ष्य और किस तरह से वो अपने सपनों को अंजाम तक पहुंचाती है

एक्टिंग– मूवी में हम अक्सर अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्‍हा कुछ नया करते देखते है. वह अपने निषेधों को तोड़ती है। खिलती और खुलती हैं, लेकिन लेखक और निर्देशक उनकी मेहनत पर पानी फेर देते हैं.फ़िल्म में पूरब कोहली, कनन गिल, एमके रैना और शिबानी दांडेकर अपने-अपने किरदार में फ़िट हैं.

डायरेक्शन–इस फिल्म का डायरेक्शन सही नहीं है फिल्म का स्क्रीनप्ले जो काफ़ी बिखरा हुआ है फिल्‍म देखकर लग साफ लग रहा है कि लेखक और निर्देशक को पत्रकार और पत्रकारिता की कोई जानकारी नहीं है।

म्यूजिक– इस मूवी के गाने काफी अच्छे है इन्हें अमाल मल्लिक गाये है.

देखें या न– मूवी देखी जा सकती है इस फिल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी है इस फ़िल्म का विषय और संदेश है कि किसी भी पत्रकार को पत्रकार होने के साथ-साथ इंसान होना भी ज़रूरी है और नाम और शौहरत कमाने के चक्कर में उसे इंसानियत का फ़र्ज नहीं भूलना चाहिए. इस मूवी की गति बहुत धीमी है. इसलिए तेज़ गति की उम्मीद रखने वाले दर्शकों को निराशा हो सकती है.

 

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