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नीरव मोदी घोटाले के बाद PNB की मुंबई ब्रांच में एक और बड़ा फ्रॉड

देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि मुंबई की पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ब्रांच में एक और फ्रॉड सामने आया है. मुंबई की पीएनबी ब्रांच में करीब 9.9 करोड़ रुपये का एक और फ्रॉड का खुलासा हुआ है, इसकी जानकारी फेडरल पुलिस को दी गई शिकायत के आधार पर हुई है. यह मामला भी उसी ब्रांच का बताया जा रहा है जिस शाखा में नीरव मोदी से जुड़ा घोटाला सामने आया था. सूत्रों के अनुसार यह मामला एक छोटी कंपनी चंदेरी पेपर एंड एलाइड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड का बताया जा रहा है.

बैंक की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया
फ्रॉड के ताजा मामले में अभी तक पीएनबी के प्रवक्ता का कोई बयान नहीं आया है. इसके अलावा चंदेरी पेपर की तरफ से भी कोई बयान नहीं दिया गया है. सीबीआई ने पीएनबी के पूर्व डीजीएम गोकुलनाथ शेट्टी और चंदेरी पेपर्स के प्रमोटर मनोज हनुमत खारावत के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. शेट्टी पीएनबी के नीरव मोदी से जुड़े 12,600 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में भी आरोपी हैं. अब शेट्टी पर चंदेरी पेपर्स को दो एलओयू जारी करने का आरोप है. ये दोनों एलओयू एसबीआई ब्रांच के लिए 25 अप्रैल 2017 को जारी किए गए थे.

सीबीआई और ईडी तेजी से कार्रवाई कर रही
इससे पहले हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की तरफ से पीएनबी को 12,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाकर विदेश भागने के मामले में जांच चल रही है. इस पूरे मामले में सीबीआई और ईडी तेजी से कार्रवाई कर रही हैं. सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले पर चुप्पी तोड़ते हुए बुधवार को आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा था कि सार्वजनिक बैंकों के घोटाले रोकने के लिए केंद्रीय बैंक को और अधिक नियामकीय शक्तियां दी जानी चाहिए.

आरबीआई की शक्तियां बढ़ाने की जरूरत
उर्जित पटेल ने कहा कि उसके पास इस समय जो शक्तियां है वे घोटालेबाजों के मन में भय पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. पटेल की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी की फर्मों के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 12 हजार 600 करोड़ रुपये का चूना लगाए जाने का मामला सामने आया है. नीरव व मेहुल देश से बाहर भाग गए हैं.

पटेल ने केंद्रीय बैंक के पास बेहद सीमित अधिकार होने का जिक्र करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक किसी सार्वजनिक बैंक के निदेशकों या प्रबंधन को हटाने में सक्षम नहीं है. आरबीआई सार्वजनिक बैंकों का विलय भी नहीं करा सकता है और न ही वह इन बैंकों को परिसमाप्त करने की कार्रवाई शुरू करा सकता है.