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नापाक हरकतों की चुनौती

भारत के सख्त रुख के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उल्टे 29 सितंबर को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उसने सीमा पर गोलीबारी बढ़ा दी है। तब से वह 60 से ज्यादा बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है। इस दौरान उसकी फायरिंग में सेना और सीमा सुरक्षा बल के कई जवान शहीद हुए हैं। अनेक नागरिकों की भी जान गई है। गुजरे मंगलवार को रिहायशी इलाकों पर पाक फायरिंग में 8 लोगों की जान गई। 20 से ज्यादा जख्मी हुए। हालांकि भारतीय बलों ने जमकर जवाब दिया है, लेकिन पाकिस्तान कोई सबक लेता नहीं दिखता। भारतीय कार्रवाई में पाक फौज/अर्धसैनिक बलों की कई चौकियां तबाह हुई हैं। उसके कई जवान भी मारे गए हैं।

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हैरतअंगेज है कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाइयों को भारत की आक्रामकता के रूप में पेश करने की कोशिश में है। इसी के तहत मंगलवार को पाक विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उप-उच्चायुक्त जेपी सिंह को बुलाकर विरोध दर्ज कराया। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह चौथा मौका था, जब उसने भारतीय राजनयिक को तलब किया। इससे उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली कहावत ही चरितार्थ होती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तानी गोलाबारी से जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के आसपास के बाशिंदों की जिंदगी दूभर हो रही है। गोलाबारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने उन इलाकों में 174 स्कूलों को एहतियातन बंद करने का आदेश दिया है। एक तरफ हालात ऐसे हैं, तो दूसरी तरफ कश्मीर घाटी में पाकिस्तान से प्रश्रय पाने वाले आतंकवादी बेहद अमानवीय गतिविधियों में जुटे हैं। स्कूलों को जलाने से ज्यादा बाल-विरोधी काम आखिर और क्या होगा? पिछले 3 महीने में आतंकवादी दर्जनों स्कूलों को जला चुके हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट को भी इस मामले का संज्ञान लेना पड़ा। हाई कोर्ट ने उचित ही कहा कि स्कूलों में आग की घटनाओं ने मानवीय विवेक को झकझोर दिया है। स्कूलों की इमारत जलाने वाले शिक्षा के दुश्मन हैं।

बहरहाल, हकीकत यही है कि पाकिस्तान और उसके इशारे पर चलने वाले आतंकवादी बेखौफ अपनी नापाक हरकतों में जुटे हैं। भारत के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती है। एनडीए सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक, जवाबी कार्रवाई के लिए भारतीय बलों को पूरी छूट देने और कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई। अब आकलन का विषय है कि क्या उसके अपेक्षित परिणाम सामने आए हैं? अगर नहीं, तो अब आगे का रास्ता क्या है? मकसद पाकिस्तान को अपने यहां दहशतगर्दी के अड्डे नष्ट करने के लिए मजबूर करना है। अब तक उठाए गए कदमों से यह उद्देश्य प्राप्त नहीं हुआ, तो अब उसके आगे के कदम उठाने होंगे। इसमें बहुत देर करने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि वैसा होने पर सर्जिकल स्ट्राइक से देश में पैदा हुए आत्मविश्वास में फिर से सेंध लगने लगेगी।

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