आज बॉलीवुड फ्लैशबैक में हम ऐसी लव स्टोरी के बारे में बताएंगे जिसमें प्यार हुआ, इकरार हुआ लेकिन ये प्यार करने वाले कभी एक ना हो सके। ये दास्तां है नरगिस और राज कपूर के बेइंतहा मोहब्बत की। साल 1946… राज कपूर ने फिल्म ‘आग’ का निर्देशन शुरू कर दिया था। इस फिल्म के लिए राज कपूर स्टूडियो की तलाश में थे। उन्हें पता चला कि नरगिस की मां जद्दन बाई मुंबई के ‘फेमस स्टूडियो’ में रोमिया-जूलियट बना रही हैं।
वो ‘फेमस स्टूडियो’ के बारे में जानना चाहते थे इसलिए राज कपूर जद्दन बाई के घर पहुंच गए। वो नहीं जानते थे कि उस दिन उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आने वाला है। उस दिन जद्दन बाई घर पर नहीं थीं। घर का दरवाजा उनकी बेटी नरगिस ने खोला। नर्गिस बेहद खूबसूरत थीं। इस पहली मुलाकात से नरगिस और राज कपूर दोनों की जिंदगी बदल गई। इस मुलाकात का राज कपूर पर इतना गहरा असर हुआ कि 27 साद बाद उन्होंने फिल्म बॉबी में उस पल को हूबहू पर्दे पर उतार दिया।
पहली मुलाकात में ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। उस वक्त नरगिस क्या सोच रही थीं इस बारे में लेखक टीजेएस जॉर्ज की किताब ‘द लाइफ एंड टाइम ऑफ नरगिस’ में बखूबी बयां किया गया है। इस मुलाकात के बारे में नरगिस ने अपनी दोस्त नीलम को बताया था, ‘नीली आंखों वाला एक मोटा सा ‘पिंकी’ घर आया था’। दरअसल, उस दिन दोनों की कोई बात नहीं हुई थी। राज कपूर नरगिस को घर में अकेले देख घबरा गए थे और तुरंत वापस लौट गए।
नरगिस राज को पसंद करने लगी थीं। राज कपूर के शादीशुदा होने के बावजूद नरगिस के साथ राज कपूर का रिश्ता रील से निकलकर रियल लाइफ में पहुंच गया था। अब नरगिस उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गईं थीं। दोनों के अफेयर से उनके परिवार वाले बेहद नाराज थे। कई बार तो दोनों को मिलने से रोका गया। लेकिन प्यार के इन पंछियों ने हर जंजीर को तोड़ दिया था। इसके बाद नरगिस ने फिल्म ‘बरसात’ में राज कपूर के साथ काम किया। इस समय तक नरगिस ने सोच लिया था कि उनका भविष्य अब पूरी तरह राज कपूर के साथ ही है।