Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

दीक्षांत समारोह में सीएम ने गाउन पहनने से किया इंकार, बोले- ये तो फिरंगियों की पोशाक है

Captureदेहरादून में यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के 15वें दीक्षांत समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गाउन पहनने से इंकार करके सबको चौंका दिया। फिर खुद ही साफ किया कि यह गाउन फिरंगियों की पोशाक है, इसलिए नहीं पहनेंगे।
 
इसके बाद एलान किया कि दीक्षांत समारोह में गाउन की जगह भारतीय परिधान की शुरुआत उत्तराखंड से की जाएगी। यह परिधान प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में लागू होगा।

यूपीईएस के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावडेकर, प्रदेश के राज्यपाल डा. केके पाल, प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत मंच पर गाउन पहनकर बैठे हुए थे। इस बीच सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना गाउन पहने मंच पर पहुंचे।

अपने संबोधन में उन्होंने गाउन पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि जो गाउन दीक्षांत समारोह में पहने जा रहे हैं, वह फिरंगियों की पोशाक हैं। कब तक हम यह फिरंगियों की पोशाक पहनकर चलते रहेंगे। क्या हमारे देश में अपनी कोई पोशाक नहीं हो सकती। उन्होंने यूपीईएस से दीक्षांत समारोह के लिए भारतीय परिधान तैयार करने का आह्वान किया।

सीएम ने कहा कि यह परिधान भविष्य में पूरे प्रदेश के विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह के लिए सरकार लागू करेगी। इसके बाद यह देशभर में लागू करने को केंद्र सरकार से बात भी की जाएगी। गाउन के बारे में सीएम की बात सुनकर सभी चुप रह गए, लेकिन सामने बैठे छात्र-छात्राओं ने सीएम के इस फैसले पर जमकर तालियां बजाईं।

दीक्षांत समारोह में गाउन की परिकल्पना 12वीं, 13वीं शताब्दी की मानी जाती है। इसकी शुरुआत यूरोप से मानी जाती है। इसके बाद गाउन ने 16वीं शताब्दी में वर्तमान पोशाक का रूप अमेरिका के विश्वविद्यालयों में लिया।

वर्ष 1773 में अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और 1919 में रजर्स यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में गाउन व कैप पहनी गई। इस दौरान भारत में भी दीक्षांत समारोह में धीरे-धीरे गाउन और कैप अपनी पैठ बनाते चले गए। तब से लेकर आज तक दीक्षांत समारोह में यह परंपरा बन गई है।

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का 17 जून को पहला दीक्षांत समारोह है। समारोह में विवि प्रशासन ने तय किया है कि वह छात्रों को गाउन के साथ ही पहाड़ की पहचान मफलर और टोपी भी देंगे।

विवि के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने बताया कि इसकी तैयारी पहले से ही की जा चुकी है। जो भी छात्र दीक्षांत समारोह में डिग्री लेंगे, उन्हें मफलर और टोपी पहनाई जाएगी।

 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published.