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दादा की सेवा नहीं की तो कोर्ट ने रजिस्ट्री शून्य की

जबलपुर। एक पोते court_650x400_81426851307ने जिदंगी भर सेवा करने का 20 रुपए के शपथ पत्र पर वचन देकर दादा से एक एकड़ जमीन अपने नाम करा ली। सेवा करना तो दूर पिता के साथ मिलकर पोते ने 91 साल के दादा को घर से ही निकाल दिया। दादा भरण पोषण अधिनियम का मामला लेकर एसडीएम कोर्ट पहुंचे।

कोर्ट ने जांच में मामला सही पाया और मंगलवार को पोते के नाम की एक एकड़ की रजिस्ट्री शून्य घोषित कर जमीन दादा के नाम कराने का आदेश दे दिया। संभवत: माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2009 के तहत ये मप्र का पहला मामला है। जिसमें किसी रजिस्ट्रार अधिकारी (एसडीएम) ने जमीन की रजिस्ट्री शून्य की है।

चार बेटे, चारों ने दिया धोखा

जिले के बम्होरी निवासी 91वर्षीय प्रीतम पटेल के चार बेटे कालूराम, बिहारी लाल, किशन लाल और सुशील कुमार हैं। चारों ने बारी-बारी से सेवा करने की दुहाई देकर पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कराकर अपने नाम करा ली। बंटवारे के बाद तीन बेटों ने साथ रखने से इनकार कर दिया।

इसके बाद प्रीतम अपने मंझले बेटे बिहारी लाल के साथ रहने लगा। इसी दौरान बिहारी लाल के पुत्र संजू (27) (पोता) ने भी बम्होरी स्थित खसरा नम्बर 649/1 रकवा .040 हैक्टेयर (एक एकड़) जमीन अपने नाम करा ली। संजू ने 11 फरवरी 2014 को 20 रुपए में स्टॉम्प पेपर में लिखकर दिया कि जमीन उसके नाम करने पर वो जिंदगी भर सेवा करेगा। बीमार पड़ने पर इलाज कराएगा। लेकिन ढाई साल बाद पोते ने भी दादा को घर से निकाल दिया।

बेटों ने 200-200 रुपए हर माह नहीं दिए तो जेल

एसडीएम नम:शिवाय अरजरिया ने प्रीतम के पोते सहित चारों बेटो के खिलाफ ये आदेश भी दिए कि 91 वर्षीय पिता का भरण पोषण करना उनका दायित्व है। इसलिए हर माह वे 200-200 रुपए उनके बैंक खाते में जमा कराएं। खाने-पीने, कपड़ा और दवाइयों की व्यवस्था करें। यदि नहीं करते हैं तो 30 दिन के लिए सिविल जेल भेज दिए जाएंगे।

प्रीतम पटेल के मामले में छल-कपट पूर्वक उनकी जमीन पोते ने अपने नाम करा ली। बेटे भी साथ नहीं दे रहे। मामले में धोखे से अपने नाम कराई गई जमीन का रजिस्ट्रेशन शून्य घोषित किया गया है। जबकि बेटों को हर माह खाना-खुराकी देने कहा गया है। मप्र में पहली बार भरण-पोषण अधिनियम के तहत जमीन की रजिस्ट्री शून्य की गई है।

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