भारतीय समाज में हम अपने सभी कार्यों को बाएं की जगह दाएं हाथ से ही करना उचित समझते हैं। बात चाहे खाना खाने की हो, पूजा करने की हो या फिर दान देने की हो, हम हमेशा दाएं हाथ का ही प्रयोग करते हैं। न केवल भातीय संस्कृति में बल्कि विदेशी संस्कृति में भी दाएं की जगह पर बाएं हाथ का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। आखिर हमारी संस्कृति में बाएं हाथ को इतना अशुभ क्यूं माना गया है, आइये जानते हैं…
पहला कारण एक कारण इसका यह भी है कि हमारी हृदय प्रणाली बाईं ओर है। हमारे शरीर की प्रणाली कुछ इस तरीके से बनी हुई है कि हम अपने बाएं हाथ का प्रयोग दाएं हाथ के मुकाबले ठीक से प्रयोग नहीं कर पाते। इसलिये अगर आप किसी गेंद को जोर से फेंकना चाहेंगे तो वह काम आप अपने दाएं हाथ से ही ठीक ढंग से कर पाएंगे।
बाएं और दाएं के अलग-अलग स्वभाव जब हम चलते हैं तो बायां हाथ आगे कर दायां पैर पीछे हो जाता है। और इसी के उल्ट दायां पैर आगे कर बायां हाथ पीछे होता है, यही हमारे सही चलने का तरीका है।
बाएं ओर का हिस्सा संवेदनशील होता है बायां हिस्सा आपका ज्यादा कोमल होता है जिसे सही पोषण और देखभाल की जरुरत होती है। और दायाँ हिस्सा ज्यादा मज़बूत होता है। जैसे जो भी काम आपको बाहरी तौर पर करना है वो आप दायें हिस्से से करेंगे। और अगर आपको किसी चीज़ को महसूस करना है तो वह अपने बाएं हाथ से करेंगें क्योंकि यह हिस्सा संवेदनशील होता है।
बाएं हाथ को संवेदनशील कामों के लिए इस्तेमाल करें बायां हाथ अधिक संवेदनशील होता है जिसका इस्तेमाल कर के हम कोमल चीज़ों को महसूस कर सकते हैं, और अगर हम इससे अन्य सारे काम करने लगे तो यह अपनी संवेदनशीलता खो देगा। जैसे जब हम गोल्फ खेलते हैं तो हमे ज्यादा ताकत की जरुरत नहीं पड़ती है, बस हमे संवेदनशील भाव की जरुरत पड़ती है।
बायां कोमल है कोमलता स्त्री का स्वभाव है, और बायां हिस्सा फेमनिन कहालाता है। ज्यादातर लोगों ने स्त्री और पुरुष को एक सामान्य देखना शुरू कर दिया है जिसकी वजह उन्हों ने अपने अंदर की स्त्री को मार डाला है, और इसका उनको कोई एहसास भी नहीं है।