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तुलसी के पत्तों के साथ कभी ना करें ये काम, वरना होगा पछताना…

तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि भी है। तुलसी को हजारों वर्षों से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा हैं। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। यही नहीं इसके साथ एक प्रसिद्ध कहावत भी है कि “जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह पूजनीय स्थान होता है और वहां कोई बीमारी या मृत्यु के देवता नहीं आ सकते हैं। तुलसी का पौधा घरों में और मंदिरों में लगाया जाता है, साimg_20161129031808थ इसकी पत्तियां भगवान विष्णु को अर्पित की जाती हैं। इसके औषधिय गुणों के अलावा यह कभी-कभी हमारे शरीर को नुक्सान भी पंहुचा सकती है। 

तुलसी के पत्ते नहीं चबाने चाहिये हम हमेशा दूसरों को बोलते है कि तुलसी के पत्ते चबाओं स्वास्थ के लिए अच्छा होता है। लेकिन आपको बता दे कि तुलसी के पत्तों का सेवन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इन पत्तों को चबाए नहीं बल्कि निगल लेना चाहिए। इस प्रकार तुलसी का सेवन करने से कई रोगों में लाभ प्राप्त होता है। तुलसी के पत्तों में पारा धातु के तत्व होते हैं जो कि पत्तों को चबाने से दांतों पर लग जाते हैं। ये तत्व दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है। शिवलिंग पर तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती हैं 
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जालंधर नाम का एक असुर था जिसे अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। जिसका फ़ायदा उठा कर वह दुनिया भर में आतंक मचा रहता। जिसके चलते भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनायीं। पहले भगवान विष्णु ने जालंधर से अपना कृष्णा कवच माँगा, फिर भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी की पवित्रता भंग की, जिससे भगवान शिव को जालंधर को मारने का मौका मिल गया। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ। जिसके चलते गुस्से में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उन पर तुलसी की पट्टी कभी नहीं चढ़ाई जाएंगी। यही कारण है कि शिव जी की किसी भी पूजा में तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाई जाती है।
 इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए। ये दिन हैं एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण काल। इन दिनों में और रात के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना, तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है। 
मौत का शाप बे वजह  तुलसी के पत्ते तोड़ने से मृत्यु का शाप लगता है। तुलसी का अपमान नहीं करना चाहिए जिस घर में तुलसी लगी हो वहां उसकी रोज़ पूजा करनी चाहिए। क्योंकि यह माना जाता है कि इसे पूजने वाला व्यक्ति स्वर्ग में जाता है। 
 गणेश पूजन में वर्जित है तुलसी के पत्ते  एक कथा के अनुसार एक बार तुलसी जंगल में अकेली घूम रही थी जब उन्होंने गणेश जी को देखा जो की ध्यान में बैठे थे। तब तुलसी ने गणेश जी सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और उन्होंने यह कह कर अस्वीकार कर दिया की वो ब्रह्मचारी है जिससे रुष्ट होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दे दिया, प्रतिक्रिया स्वरुप गणेश जी ने तुलसी को एक राक्षस से विवाह का श्राप दे दिया। इसलिए गणेश पूजन में भी तुलसी का प्रयोग वर्जित है। 

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