केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश करने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रविवार को इमरजेंसी मीटिंग कर रहा है. लखनऊ में हो रही इस मीटिंग में शामिल होने के लिए बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों के बुलाया गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखने और ऐसा करने पर तीन वर्ष कारावास के प्रावधान वाले विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दी थी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंत्रिमंडल द्वारा तीन तलाक पर विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया था. विधेयक का विरोध करते हुए एआईएमपीएलबी के सदस्य मौलाना खालिद राशिद ने कहा कि जहां तक महिलाओं को मुआवजा देने का सवाल है, वह मुस्लिम समुदाय द्वारा दिया जाता है. इसलिए हमें लगता है कि तीन तलाक विधेयक समुदाय के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है. यह धार्मिक स्वतंत्रता पर एक हमला है.
सरकार ने कहा था कि इस विधेयक का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में महिलाओं की गरिमा व सुरक्षा को संरक्षित करना है. मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई. उन्होंने गुजरात चुनाव अभियान के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था.
इस माह के प्रारंभ में राज्यों को भेजे गए मसौदा विधेयक के अनुसार, इसमें प्रस्तावित है कि तीन तलाक को गैर-जमानती अपराध बनाया जाए जिसके तहत तीन वर्ष कारावास का प्रावधान है. यह मसौदा कानून सर्वोच्च न्यायालय की ओर से 22 अगस्त को दिए गए निर्णय के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें तीन तलाक को अवैध बताया गया था.