देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
मामला छोटा हो या बड़ा, चाहे कितना भी गंभीर और खतरनाक हो यदि आपकी निगाह में आए तो उसे पुलिस के पास ले जाने की जहमत कतई न उठाएं। बल्कि आंखें बंद कर लेना ही आपके लिए फायदेमंद होगा। खुदानखास्ता अगर आपने पुलिस के पास जाने की भलमंसी की तो कार्रवाई हो न हो पर पुलिस आपसे ही तहरीर मांग बैठेगी। चाहे आपको इसका कोई भी खामियाजा क्यों न भुगतना पड़े।
बच्चों की सुरक्षा के लिए शासन ने भले ही तमाम कानून बना रखे हों परंतु इसका पालन कराने वाले कितना उदासीन हैं कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिहाड़ी पर नाबालिग से भीख मंगवाने जैसे जघन्य अपराध पर पुलिस कार्रवाई से कतरा रही है। गुरुवार की शाम एक ऐसा मामला प्रकाश में आया जिसने मानवता को फिर से शर्मसार किया। हीरा लाल धर्मशाले पर बने ओवरब्रिज पर नाबालिग वाहिद अपंग बनकर भीख मांग रहा था। ऐसे में निकलने वाले राहगीर उसकी हालत पर दया खाकर कभी छुट्टे पैसे तो कभी पांच और दस के नोट देकर जा रहे थे। इसी बीच संवाददाता की निगाह मासूम वाहिद पर पड़ी। संवाददाता को शक हुआ और कुछ देर खड़े होकर वह उसकी हरकतें देखता रहा। अपंग बनकर चलने वाला वाहिद जब लोगों से नजर बचाकर सामान्य तौर पर चलने लगा तो संवाददाता ने उसके पास जाकर उससे भीख मांगने का कारण पूछा। संवाददाता द्वारा प्रेम से पूछे गए हर सवाल का जवाब वाहिद एक-एक कर देने लगा। मामला परत दर परत खुलने लगा। वाहिद ने बताया कि उसका तथाकथित चाचा जाकिर अली जो कि निघासन में रहता है, उसे डेढ़ सौ रुपए दिहाड़ी पर अपंग बनकर भीख मांगने को कहता है। साथ ही वाहिद ने यह भी बताया कि वह भीख मांगने वाले बच्चों में अकेला नहीं है। ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा बच्चे उसके चाचा के कहने पर अपंग बनकर भीख मांगते हैं।
हालांकि इन बच्चों की संख्या की सही जानकारी वाहिद के पास नहीं थी। वाहिद ने यह भी बताया कि उसके पिता का देहांत हो चुका है। मां बेबस है और चाचा उसे मारता-पीटता है। चाचा का कहना न मानने पर वाहिद ने कई बार अपनी हुई पिटाई के बारे में भी बताया। मामले की गंभीरता को समझ कर संवाददाता वाहिद को कोतवाली ले गया। जहां पर पुलिस ने भी वाहिद से उपरोक्त सवाल दोहराए और वाहिद ने भी उपरोक्त जवाबों को ही दोहराया। ऐसे में यह भी साफ हो गया कि वाहिद द्वारा कही जा रही एक-एक बात बिल्कुल सही है। इतना बड़ा मामला सामने आने के बावजूद पुलिस की कार्रवाई बस उसे चाइल्ड लाइन भेजने भर तक ही सीमित रही।
जब कोतवाल सदर कुलदीप तिवारी से बच्चों से भीख मांगने वाले नेटवर्क के मामले में कार्रवाई की बावत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि व्यस्तता के चलते अभी उन्होंने इस प्रकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की है। वहीं जब सीओ सिटी हरीराम वर्मा से मामले में कार्रवाई पर हो रही देरी का कारण पूछा गया तो उन्होंने किसी भी तरह की तहरीर न मिलने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिना तहरीर के पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। वह कार्रवाई के लिए पत्रकार से ही मामले में तहरीर मांग बैठे।
गंभीर मामले में पुलिस का फौरी कार्रवाई करना जरूरी
कांग्रेस के पीसीसी सदस्य एवं अधिवक्ता राजीव कुमार अग्निहोत्री ने तहरीर से जुड़े प्रश्न पर बताया कि ऐसे गंभीर मामले में पुलिस को फौरी कार्रवाई करनी चाहिए न कि तहरीर का इंतजार। उन्होंने बताया कि आम आदमी पुलिस, कोर्ट-कचेहरी से दूर रहना चाहता है। ऐसे में यदि पुलिस उन्हें तहरीर देने को बाध्य करेगी तो बड़े-बड़े मामलों की जानकारी लोग पुलिस को देने से कतराएंगे जिसका समाज पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।
कार्रवाई जरूर की जाएगी:आईजी
इस गंभीर प्रकरण पर जब आईजी जोन से फोन पर बात की गई तो उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जाहिर किया कि इतने गंभीर मामले में पुलिस अधिकारी तहरीर का इंतजार कर रहे हैं।