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डोनाल्ड ट्रंप का 7 मुस्लिम देशों पर फिर बैन

Donald Trumpसात मुस्लिम देशों के लोगों को अमेरिका में प्रवेश देने पर रोक लगाने के आदेश के बाद अदालतों से चोट खाने के बावजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। प्रवासियों के लिए संशोधित यात्रा प्रतिबंध संबंधी दस्तावेजों में उन सात देशों के नाम दोबारा शामिल कर लिए गए हैं जिन पर हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रतिबंध लगाया था। इन संशोधित दस्तावेजों में यात्रा प्रतिबंध से उन यात्रियों को जरूर छूट दी गई है जिनके पास पहले से ही अमेरिकी यात्रा का वीजा है। यहां तक कि जिन्होंने अपने वीजा का उपयोग नहीं किया है वे भी इसका उपयोग कर सकेंगे।
  
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए संशोधित आदेश में प्रवासियों व शरणार्थियों के प्रतिबंध पर संघीय अदालत द्वारा लगाई गई रोक की उपेक्षा करते हुए उन्हीं सात मुस्लिम देशों को लक्ष्य किया गया है जिन पर पहले भी रोक लगाई गई थी। इनमें ईरान, इराक, सीरिया, यमन, सोमालिया, सूडान और लीबिया शामिल हैं। 

संशोधित दस्तावेजों में सात मुस्लिम देशों के नागरिक देश के सभी ग्रीन-कार्ड धारकों और अमेरिका के दोहरी नागरिकता प्राप्त नागरिकों को जरूर छूट दी गई है। व्हाइट हाउस प्रवक्ता सारा हुकाबे सैंडर्स ने कहा कि दस्तावेज का अंतिम संस्करण जल्द ही जारी किया जाएगा।

गिर जाएगी शरणार्थियों की संख्या
अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक इस साल 35,000 शरणार्थी ट्रंप द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से पहले ही अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं और देश के करीब 15,000 स्थानों में रह रहे हैं। इसका मतलब है कि शेष वित्त वर्ष के लिए प्रति सप्ताह बताई जा रही शरणार्थियों की संख्या संभवतया ओबामा प्रशासन द्वारा लगाई गई सीमा से नीचे गिर जाएगी।

एकजुटता रैली में हजारों ने कहा – मैं भी मुस्लिम हूं

मुसलमानों के साथ एकजुटता जताने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीतियों के विरोध में यहां टाइम्स स्क्वायर पर विभिन्न धर्मों के हजारों लोगों एकत्रित हुए। उन्होंने घोषणा की कि – ‘मैं भी मुसलमान हूं।’ सात मुस्लिम बहुल देशों पर प्रतिबंध लगाने वाले ट्रंप के शासकीय आदेश से पैदा हुई अनिश्चितता व चिंता के जवाब में ‘फाउंडेशन फॉर एथनिक अंडरस्टैंडिंग’ और ‘नुसानतारा फाउंडेशन’ ने मिलकर यह रैली आयोजित की। 
इस एकजुटता रैली में हजारों लोगों ने भाग लिया और ‘लव ट्रंप्स हेट’, ‘अमेरिका, अमेरिका’ और ‘नो मुस्लिम बैन’ के बैनर हाथ में लेकर नारे लगाए। इस दौरान कई धर्मों के लोगों ने देश को बांटने वाले राजनीतिक माहौल की निंदा की और बढ़ते दबाव को झेल रहे मुसलमानों के लिए खड़े होने की अपील की।

जाने माने सिख अमेरिकी स्पीकर सिमरन जीत सिंह ने कहा कि वह रैली का इसलिए समर्थन कर रहे हैं ‘क्योंकि एक सिख के तौर पर हम जानते हैं कि भेदभाव और दमन झेलने वाले को कैसा महसूस होता हैं। हम ऐसी दुनिया चाहते हैं जिसमें सभी को स्वीकार किया जाए और जो सहिष्णु हो।’ 

अवैध प्रवासियों को अमेरिका से खदेड़ने की तैयारी

अमेरिका की जांच एजेंसियों को अप्रवासी कानून के तहत अब और भी अधिक ताकतवर बनाने की तैयारी है। ट्रंप प्रशासन देश में बहुत बड़े पैमाने पर बिना दस्तावेज रहने वाले अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए बड़ी कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इसके तहत जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें सीमा पर मौजूद एजेंट व कस्टम अधिकारी अवैध नागरिकों को हिरासत में लेकर निर्वासित कर सकेंगे।

देश के होमलैंड सुरक्षा मंत्री और पूर्व नौसेना जनरल जॉन एफ. केली ने इस संबंध में दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें आप्रवासी प्राधिकरणों के लिए बनाए गए आक्रामक मिशन के लिए रूपरेखा तैयार की गई है। इसके तहत पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की उन सभी निष्प्रभावी नीतियों पर फोकस किया गया है जिनमें गंभीर अपराधियों को खत्म करना शामिल था, लेकिन किन्हीं कारणों से ओबामा प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई थी।

मालूम होता है कि नए ड्राफ्ट में कई ऐसे युवा प्रवासियों को छोड़ दिया गया है जिन्हें बच्चों के रूप में देश के भीतर अवैध ढंग से लाया गया था। लेकिन जिन बच्चों के अभिभावक बिना साथी के देश में प्रवेश कर गए थे उन्हें कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा। 

ज्ञापन में उन प्रस्तावों को बाहर रखा गया है जिन्हें या तो अंतिम रूप नहीं दिया गया है अथवा जिनमें व्हाइट हाउस बदलाव कर सकता है। यह सभी ऐसे प्रस्ताव हैं जिन पर डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही अवैध अप्रवासियों को देश के बाहर खदेड़ने का अमेरिकी जनता से वादा किया था।

हाल ही में ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा भी था कि – ‘हमारी सीमाएं एक बार फिर मजबूत होंगी, जिसे आप टेलिविजन पर देखेंगे।’ जनरल कैली इस पर सचमुच काम कर रहे हैं। दि वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक – ‘इसके तहत बिना दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हजारों अप्रवासियों पर यह कार्रवाई हो सकती है।’ शीघ्र निष्कासन के लिए सीमा पर मौजूद एजेंट और कस्टम अधिकारी उन्हें हिरासत में लेकर निर्वासित कर सकते हैं।

 

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