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जाने कलीरों से जुडी कुछ बातो के बारे में

kalireकलीरे आपने भी पहने होंगे या पहनने की तैयारी में हों। हर इंडियन लड़की को इसके बारे में पता होना चाहिए। कलीरे पहनने का ट्रेडिशन कब से चला आ रहा है और कैसे ये अब हर दुल्हन का ज़रूरी हिस्सा बन चुका है। कलीरों के बारे में बहुत सी ऐसी बातें है जो काफी कम लोगों को पता होगा।

आइए जानते हैं कलीरों से जुड़ी से बातें—

1-चूड़़े की शुरूआत पंजाब से हुई उस समय ये मेटल से नहीं बल्कि सूखे नारियल (पूरा या आधा) से बनाए जाते थे, जिसमें काजू और बादाम लटकाए जाते थे जिसके पीछे मान्यता थी कि दुल्हन कभी भूखी न रहे यानि शादी होने के बाद अगर उसे अपने पति के साथ उसके घर जाते हुए सफर में भूख लगे, तो वो इसे खा सके लेकिन टाइम के साथ कलीरे के डिज़ाइन और रंग में काफी बदलाव आ चुका है अब उसी आधे नारियल की शेप या गुम्बद या अम्ब्रेला जैसे शेप में लाइट रोज वुड या मेटल से इसे बनाया जाता है, जिसमें हर कलर के बीड्स या स्टोन्स जड़े हुए होते हैं लेकिन आज भी गांव में कई जगह आधे नारियल को ही दुल्हन के हाथों पर बांधा जाता है।

2-ऐसा माना जाता है कि दुल्हन कलीरों को कुवांरी लड़कियों के सिर पर हिलाती हैं और अगर कलीरे में से एक भी हिस्सा किसी लड़की पर गिरा, तो शादी का अगला नम्बर उसी का होता है वहीं, इसके अलावा कलीरे को दुल्हन की आने वाली लाइफ में खुशहाली और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है सोलह श्रृंगार, जिसे हर दुल्हन को अपनी शादी पर करना चाहिए।

 3-दुल्हन को चूड़़े की ही तरह कलीरे भी मां के घर (नानी या मामा) की तरफ से शगुन के तौर पर दिए जाते हैं इसे भी शादी के पहले चूड़़े की रस्म के बाद दोनों हाथों में पहनाया (चूड़़े पर बांधा) जाता है।

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