चार दिनी छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार से होगी। पहले दिन नहाय-खाय की रस्म होगी। व्रतधारी स्नान के बाद कद्दू और चने की दाल से बने व्यंजन ग्रहण करेंगे। 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाएगा, जो उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा होगा। रविवार को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
संतान प्राप्ति और कुशलता के लिए कठिन साधना
मनोज झा और भगवान झा ने बताया कि अधिकांशत: यह कठिन व्रत महिलाएं करती हैं। चार दिन के इस व्रत में व्रतधारी को लगातार उपवास के साथ शैय्या का भी त्याग करना पड़ता है। लीना झा बताती हैं कि उत्सव में शामिल लोग नए कपड़े पहनते हैं लेकिन व्रतधारी ऐसे कपड़े पहनते हैं जिसमें सिलाई नहीं होती है। एक बार व्रत करने की शुरुआत के बाद इसे तब तक करना होता है जब तक अगली पीढ़ी की विवाहित महिला इसके लिए तैयार नहीं होती। यह पर्व पुत्र प्राप्ति और उसकी कुशलता के लिए भी रखा जाता है।
शहर में छठ पर्व के सामूहिक आयोजन स्थल पर जलकुंड की सफाई की जा रही है। आसपास सजावट भी की जा रही है। विजय नगर, बाणगंगा, निपानिया, सुखलिया, श्यामनगर, तुलसी नगर, सिलिकॉन सिटी में तैयारियों का दौर जारी था। तुलसी नगर छठ पूजा आयोजन समिति के शम्भुनाथ सिंह और वीरकरण सिंह ने बताया कि क्षेत्र में सार्वजनिक जलकुंड के अभाव में कई लोग अपने घर के आंगन में ही छठ मैया को अर्घ्य देते हैं। अगले साल सार्वजनिक जलकुंड बनाकर सामूहिक रूप से छठ पर्व मनाया जाएगा।