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जल संकट से जूझती , एक किमी की दौड़ चार घंटे का इंतजार फिर बुझती प्यास

जिस तरह गर्मी का पारा रफ्तार से ऊपर चढ़ रहा है उससे कई गुना रफ्तार से पानी धरती की कोख से सूख रहा है। स्थिति भयावह है। हरियाणा और चंडीगढ़ में पानी की समस्या से लोग बेहाल हैं। पानी का संकट इस कदर बढ़ गया है कि लोग पानी की तलाश में कई किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं और इस जंग से रोजाना महिलाओं को लड़ना पड़ रहा है।


सोनीपत में पानीपत रोड पर स्थित गांव रामगढ़ में डेढ़ साल से सूखा पड़ा हुआ है। यहां डेढ़ साल पहले ट्यूबवेल ठप हो गया और इसके बाद गांव में पानी की एक बूंद तक नहीं है। हैंडपंप व सबमर्सिबल भूजल स्तर नीचे होने के कारण चलते नहीं हैं। हालत ये है कि गांव की 300 से ज्यादा महिलाओं को एक किमी दूर खेतों में चार घंटे खड़े रहने के बाद पानी मिलता है।

महिलाएं चिलचिलाती धूप में घरों से बर्तन लेकर दोपहर 12 बजे से खेतों की ओर चल पड़ती हैं। सिंचाई के लिए डाली गई पाइप लाइन में लगे एक नल पर पहुंचती हैं। हालांकि शाम चार बजे पानी आना शुरू होता है और महिला शाम सात बजे तक यहां से पानी भरती हैं। 

रामगढ़ की महिलाओं को तपती दोपहरी में भी आराम नहीं मिलता है। क्योंकि उनको अपनी व परिवार की प्यास बुझानी है तो गांव से एक किमी दूर खेतों में लगे नलकूप से चार घंटे खड़े रहकर पानी लाना पड़ता है। इसके अलावा गांव में दूसरा कोई पानी का साधन नहीं है। नलकूप के सहारे पूरे गांव को पानी मिलता है और उसमें भी खारा पानी आता है। जिसे पीना भी मुश्किल है लेकिन लोगों को मजबूरी में वह पानी पीना पड़ता है। 

डेढ़ साल पहले खराब हुआ ट्यूबवेल
रामगढ़ में सरकार ने कई साल पहले एक ट्यूबवेल लगवाया था, जिससे गांव के लोगों को पानी मिल सके। वह ट्यूबवेल डेढ़ साल पहले भू-जल स्तर नीचे जाने के कारण ठप हो गया था। उसके बाद से सरकार व अधिकारियों ने गांव की कोई सुध तक नहीं ली, जबकि गांव के लोग कई बार समस्या को लेकर अधिकारियों के पास जा चुके हैं।महिलाओं ने साफ कह दिया है कि उनके गांव में हर रोज पानी के टैंकर भेजने के साथ ही उनकी समस्या का समाधान कराया जाएगा तो वह उस पार्टी के प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में वोट देंगे जो इसे हल करेगा। गांव की प्रकाशी देवी का कहना है कि ”नलकूप पर रोजाना दोपहर 12 बजे अपने बर्तन रखना शुरू कर देते हैं और वहां शाम सात बजे तक यहां पर पानी भरते हैं।

पानी चार बजे आता है। इस तीन घंटे में कई बार लड़ाई होती है और एक दूसरे के बर्तनों को फेंक देते हैं। सरकार व अधिकारी हमारी समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं।” सरकारी उदासीनता के बारे में बात करते हुए मुकेश कहते हैं, ”एक नलकूप के भरोसे पर पूरा गांव टिका हुआ है। इसका पानी भी खारा है और पीने लायक नहीं है। अगर पानी की जांच कराई जाए तो सैंपल फेल आएगा। लेकिन अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। यह पीड़ा पूरे गांव की है।”

आइए जानते हैं कि जिम्मेदार अधिकारी इस पर क्या बोलते हैं। डीएस दलाल जन स्वास्थ्य विभाग में अधिशासी अभियंता हैं। उनका कहना है कि ”सरपंच समस्या को लेकर मिले थे, ट्यूबवेल खराब हो गया है। जिसे दिखवाकर जल्द से जल्द ठीक कराया जाएगा और ग्रामीणों की समस्या को दूर किया जाएगा।” चंडीगढ़ के गांव दड़वा में भी पानी का संकट गहरा गया है। यहां भी खासकर महिलाएं पानी के लिए भटक रही हैं। महिलाएं कहती हैं कि पानी की परेशानी इतनी है कि जिंदगी दूभर हो गई है। कहने के लिए चंडीगढ़ में रह रहे हैं। सिटी ब्यूटीफुल का यह हाल है। लोगों का कहना है कि पानी के फेर में बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। उनको समय नहीं दे पा रहे हैं। लोग प्राइवेट टैंकरों से महंगे रेट पर पानी मंगाने को मजबूर हैं। 

गांव दड़वा में 35 से भी अधिक होटल हैं। उनमें पानी का इस्तेमाल काफी अधिक होता है। गांव में करीब 1400 घर हैं। इनमें चार सौ से भी अधिक घरों में पानी की किल्लत है। दड़वा में सात ट्यूबवेल हैं, जिनमें से दो का पानी सेक्टर 26 में जाता है। जानकारी के अनुसार दो ट्यूबवेल में पानी कम आ रहा है। इसके कारण परेशानी हो रही है।

बोरी वाली गली की रहने वाली जानकी शर्मा कहती हैं कि रेहड़ी द्वारा ट्यूबवेल से पानी भरकर लाती हूं लेकिन जब ग्राउंड फ्लोर से ऊपरी मंजिल पर पानी से भरी बाल्टी या पीपा लेकर चढ़ना पड़ता है तो पूछिए कितना कठिन काम है। बहुत बार अधिकारियों को सूचना दी लेकिन कोई असर नहीं हुआ।धर्मशीला देवी का कहना है कि घर में पानी नहीं आ रहा है। बिल तो समय पर भरती हूं। स्वाति शुक्ला का कहना है कि कोई सुनने वाला नहीं है। चुनाव में नेता वोट के समय आते थे तो कहते सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी लेकिन अभी सब निपट गया तो अब हम सब नेताओं के सामने हाथ जोड़ते रहेंगे।

गुड़िया का कहना है कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो घरों से बाहर निकलकर नगर निगम और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने पर महिलाएं मजबूर हो जाएंगी। पानी के बिना लोग बीमार हो रहे हैं।

चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर राजेश कालिया का पूरे समस्या पर कहना है कि पानी की किल्लत मेरी जानकारी में है। नगर निगम में शामिल हुए गांव में परेशानी है। कुछ ट्यूबवेल नगर निगम को सौंप दिए हैं लेकिन कुछ ट्यूबवेल प्रशासन के पास हैं। लाल डोरे से बाहर मकानों में रहने वालों के लिए दिक्कत है। सोमवार को एडवाइजर के साथ बैठक है। बैठक में इस मुद्दे को उठाऊंगा। उम्मीद है कि बैठक में हल निकलेगा।