Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

चीन बोला- भारत को भड़काकर दक्षिण चीन सागर वाला फॉर्मूला अपना रहा है अमेरिका

सिक्किम बॉर्डर पर गहराए विवाद के बाद से भारत को लगातार धमकी देने वाले चीन को अब अमेरिका-भारत की दोस्ती भी सालने लगी है. ड्रैगन ने कहा कि अमेरिका भारत को भड़काकर दक्षिण चीन सागर का फार्मूला अपना रहा है. हालांकि चीन और भारत युद्ध नहीं करना चाहते हैं. पश्चिमी देश भारत और चीन को सैन्य संघर्ष के लिए उकसाकर रणनीतिक फायदा लेने की जुगत में है, लेकिन भारत-चीन विवाद से अमेरिका को कोई फायदा होने वाला नहीं है. चीन अमेरिका की दखल की वजह से अपने भूभाग की सुरक्षा करना नहीं छोड़ सकता है.

चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत और चीन के बीच विवाद में अमेरिका समेत कई देश सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर रहे हैं. वॉशिंगटन एग्जामिनर में चीन के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है. साथ ही अमेरिका और भारत के रिश्तों की जमकर सराहना की गई है. चीनी अखबार ने कहा कि इसमें अमेरिका को सलाह दी गई है कि वह चीन से निपटने के लिए भारत को मदद दे.

इसके अलावा हालिया भारत दौरे के समय ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री जुली बिशप ने कहा कि भारत-चीन के बीच विवाद काफी पुराना है और इसको शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए. ऑस्ट्रेलिया इस विवाद को बढ़ता हुआ नहीं देखना चाहता है. सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि जो डोकलाम में हो रहा है, वह टेरिटोरियल विवाद नहीं है. इस इलाके की सीमा पहले ही निर्धारित की जा चुकी है.

डोकलाम विवाद की प्रकृति बदलना चाहता है ऑस्ट्रेलिया

चीनी अखबार ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री का इरादा भारत-चीन के बीच विवाद की प्रकृति को बदलने और भारत के लिए समर्थन दिखाने का है. ड्रैगन का कहना है कि जहां भी विवाद होता है, अमेरिका वहीं नजर आने लगता है. इतना ही नहीं, वह समस्या को निष्पक्ष रूप से हल करने की दुहाई देने लगता है. यह रवैया युद्ध को बढ़ावा दे सकता है. चीन ने कहा कि पश्चिमी देश भारत और चीन के बीच सैन्य संघर्ष को उकसा रहे हैं, ताकि वह रणनीतिक फायदा ले सकें. अमेरिका दक्षिण चीन सागर विवाद को नजर में रखकर भारत को भड़का रहा है.

भारत-चीन सीमा विवाद के पीछे अमेरिका और रूस का हाथ रहा

चीनी अखबार ने कहा कि करीब आधी सदी पहले चीन-भारत सीमा विवाद के पीछे अमेरिका और रूस का हाथ रहा है. चीनी अखबार ने इससे भारत को न सिर्फ सीख लेने की नसीहत दी है, बल्कि उसने यह धमकी भी दी है कि भारत को इस बात को समझना चाहिए कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. ऐसे में चीन के साथ युद्ध करने से भारत का विकास प्रभावित होगा. इसमें यह भी कहा गया कि ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका-भारत संबंध को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया है. लिहाजा व्यापार और आव्रजन के मुद्दे अभी भी उलझे हुए हैं.

समुद्री विवाद से अमेरिका को कुछ नहीं हासिल होगा

अमेरिका सोचता है कि वह दक्षिण चीन सागर का फॉर्मूला यहां भी लागू कर लेगा, लेकिन समुद्री विवाद से अमेरिका को कुछ हासिल नहीं होगा. भारत और चीन के बीच विवाद से अमेरिका को कोई फायदा होने वाला नहीं है. चीन अमेरिका की दखल की वजह से अपने भूभाग की सुरक्षा करना नहीं छोड़ सकता है. चीनी अखबार के इस बयान से एक बात तो साफ है कि उसको भारत और अमेरिका की दोस्ती रास नहीं आ रही है. वह इसको लेकर बेहद चिंतित है.

Leave a Reply

Your email address will not be published.