बलरामपुर|
अगर आप इन दिनों बारिश के मौसम में तमाम बीमारियों जैसे डेंगू,चिकुनगुनिया,त्वचा सम्बंधित रोग,दस्त,झांइया से परेशान हैं और इनसे निजात पाना चाहते हैं तो आपके घर और खेत के आसपास मिलने वाली गिलोय बहुत काम आ सकती है| गिलोय को अंग्रेजी में टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया नाम से और आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है जैसे यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि | आईये अब आपको बताते हैं कि गिलोय कितना उपयोगी है.
गिलोय को इस्तेमाल करने की विधि:
- दस्त होने पर गिलोय के लट यानी तने को पीसकर उसमें थोड़ी सी मिश्री डालकर पीने से आराम होता है ।
- चेहरे पर झाईयां,आखों के नीचे काले घेरे होने पर तने और कुछ पत्तियों को पीसकर प्रभावित जगहों पर लगाकर कम से कम 15 मिनट तक लगा रहने दें बाद में ठंडे पानी से प्रभावित स्थानों को धुल लीजिए यह प्रक्रिया आपको 20-25 दिन तक करना है आपकों आराम मिलने लगेगा।
- गिलोय का काढ़ा पीने से किसी भी प्रकार के बुखार जैसे-मलेरिया,टायफाइड,डेंगू जैसी तमाम प्रकार के बुखार,शरीरिक दर्द,शरीर में खून की कमी को पूरा करता तथा सभी प्रकार की संक्रमण बिमारियों में काफी फायदा होता है।
काढ़ा बनाने का तरीका:
इसके तने को सिल पर हल्का-सा कुच-कुचा देंगे और 1 गिलास पानी भगोने में ले लेगें और हल्की धीमी आंच करके चूल्हे पर रख देंगे उसके बाद कुचला हुआ गिलोय डाल देंगे जब भगोने का पानी आधा बच जाये तब उस काढ़े को छान लेगें और दिन में 3-4 बार इस काढ़े को पीने से उपरोक्त बिमारियों में फायदा मिलती है।
इसके अलावा गिलोय का प्रयोग महामारी एवं संक्रमण रोगों से बच सके और डेंगू,चिकुनगुनिया,त्वचा सम्बंधित रोग,दस्त,झांइया, सर्दी,जुखाम,बुखार,शुगर, कैंसर,रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जैसे तमाम रोगों से छुटकारा पाने के लिए भी कर सकते हैं|
यह जानकारी बीते बुधवार सहयोग शिक्षक शिवराम गुप्ता ने बलरामपुर में बेल्वासुल्तानजोत,हाफिजपुरवा सहित कई गाँवों में आरोग्य सभा का आयोजन कर ग्रामीण वासियों को दी,इस कार्यक्रम में स्थानीय विधायक पल्टूराम भी मौजूद रहे|