Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

क्या है SC/ST? क्यों हो रहा देशभर में विरोध? जानें सवर्णों की मांग

 

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के खिलाफ 35 संगठनों ने आज ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बंद का असर दिखा। मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश और बिहार बंद से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। कई जगह ट्रेनों को रोका गया है और कई जगह प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जहां स्कूलों-कॉलेजों को बंद रखने के आदेश दिये गये हैं, वहीं, राज्य के 10 जिलों में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगा दी गई है। वहीं ग्वालियर, चंबा संभाव में शिक्षण संस्थान और इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। इसके अलावा यूपी और बिहार में भी बंद के दौरान भीड़ उग्र हो गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोकी और सड़क यातायात व्यवस्था भी ठप कर दी।

सवर्णों ने क्यों बुलाया भारत बंद?

दरअसल, बीते दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किया था। जिसके विरोध में सवर्ण समाज, करणी सेना, मध्यप्रदेश की सपाक्स समेत देश के 35 संगठनों ने 6 सितम्बर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया। इस बीच, ब्रह्म समागम सवर्ण जनकल्याण संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के विरोध में 6 सितंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करेगा।

क्या है सवर्णों की मांग?

एससीएसटी एक्ट में बदलवा के विरोध में सड़कों पर उतरे सवर्ण संगठनों ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को ही बहाल करने की मांग की है। संगठनों की मांग है कि लोकसभा में जो नया संशोधित एक्ट पारित किया गया तत्काल प्रभाव से उसे रद्द किया जाए। इन लोगों ने कहना है कि यदि ऐसा नहीं होता तो इस एक्ट का दुरुपयोग होता रहेगा। स्वर्ण व समाज के दूसरे लोगों को इसका नुकसान होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था संशोधन

दरअसल, इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं और सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संघगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद सरकार ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुन: एक्ट में संशोधन किया।

संशोधन के बाद अब ऐसा होगा एससी/एसटी एक्ट

एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी जाएगी। इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे। मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी। आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी। मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे। जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी। सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी।

क्या कहता है SC-ST Act?

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। भारत के सभी राज्यों में (जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे ) इस एक्ट को लागू किया गया। इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए। इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके।