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क्या महिलाएं सच में होती हैं ‘बेवफा’?

उस रात के बारे में मोनिका बताती हैं कि उन्होंने दूसरे पुरुष के साथ जाने के बारे में पहले से कोई योजना नहीं बनाई थी, वो कहती हैं, ”मुझे इस बात का एहसास था कि मैं जुआन से प्यार करती हूं, लेकिन वो मुझे वो नहीं दे पा रहा था जिसकी मुझे जरूरत थी।” कुछ दिन बाद मोनिका ने जुआन को सबकुछ सच-सच बता दिया और उन्होंने अपने टूटे रिश्ते को जोड़ने की कोशिशें भी की लेकिन अंत में दोनों अलग हो गए।

मोनिका का लगता रहा कि उन्होंने अपने प्रेमी के साथ धोखा किया है, कई दिनों तक वे इस पछतावे में रहीं लेकिन बाद में थैरेपी के जरिए उसे महसूस हुआ कि असल में जुआन के साथ रिश्ते में बंधकर वे खुद को परेशान कर रही थीं क्योंकि उसे लगता था कि जुआन उसकी कद्र नहीं करता था, उसकी इच्छाओं को समझता नहीं था।

मोनिका कहती हैं, ”उसके साथ रिश्ता बरकरार रखना खुद को परेशान करने जैसा था, और इसीलिए उसे धोखा देने के बाद मुझे पछतावे जैसा महसूस नहीं हो रहा।”

मनोचिकित्सक इस्थर पेरेल ने अपनी किताब द स्टेट ऑफ़ अफेयर्सः रीथिंकिंग इनफ़िडेलिटी में लिखा है कि धोखा देना या बेवफाई को पूरी दुनिया में बुरा माना जाता है लेकिन फिर भी यह सभी जगह होती है।अपनी किताब में इस्थर लिखती हैं, ”मौजूदा वक्त में प्रेम संबंध जल्दी टूटने लगे हैं, वे ज़्यादा वक्त तक साथ निभाने वाले नहीं होते और उनमें नैतिकता का अभाव भी होता है।”

इस्थर की यह किताब पिछले साल अक्टूबर में प्रकाशित हुई थी और न्यूयॉर्क टाइम्स ने उस समय इस किताब को बेस्टसेलर बताया था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा दौर में प्रेम संबंधों में जब दरार पड़ती है तो उसके पछतावे का भार आमतौर पर महिलाओं पर ही पड़ता है जबकि महिला-पुरुष दोनों ही एक दूसरे को धोखा दे रहे होते हैं।

दि सीक्रेट लाइफ ऑफ द चीटिंग वाइफ: पावर, प्रेग्मैटिस्म एंड प्लेजर’ किताब की लेखिका और समाजशास्त्री एलिसिया वॉकर लिखती हैं कि बेवफाई का मतलब प्रत्येक इंसान के हिसाब से बदलता रहता है।अपनी किताब में वो लिखती हैं, ”हम पूरे संसार में यह खोजने निकलें कि आखिर बेवफ़ाई का मतलब क्या होता है तो हमें इतना ही समझ में आता है कि यह बात एक जोड़े के लिए भी अलग-अलग साबित हो सकती है।”

अमरीका में मिसूरी राज्य की यूनिवर्सिटी में शिक्षिका एलिसिया बताती हैं कि कुछ लोगों के लिए बेवफ़ाई या धोखे का अर्थ है सेक्स संबंधों में धोखा देना जबकि किसी दूसरे के लिए यह भावनाओं से जुड़ी बात हो सकती है। इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि फिर पैंसे देकर सेक्स करना, पोर्नोग्राफी देखना, अश्लील मैसेज भेजना या फिर अपने पूर्व प्रेमी के साथ संपर्क बनाए रखना, क्या इन सभी को भी बेवफाई की श्रेणी में रखा जाना चाहिए?

इस्थर अपनी किताब में बताती हैं कि अमरीका में किए गए अध्ययन से यह बात निकलकर आई कि महिलाओं में धोखा देने का प्रतिशत 26 से 70 फीसदी के बीच रहता है जबकि पुरुषों में यह प्रतिशत बढ़कर 33 से 75 फीसदी हो जाता है।

वे इन आंकड़ों के आगे जोड़ती हैं, ”ये आंकड़े भले ही कुछ भी कहानी बयान कर रहे हों लेकिन प्रेमी जोड़ों के बीच धोखा देने का प्रतिशत तो बढ़ रहा है और अधिकतर मामलों में उंगली महिलाओं की तरफ ही उठाई जाती है।”

हालांकि वो एक और दिलचस्प आंकड़ा सामने रखती हैं जिसके अनुसार 1990 की तुलना में अब 40 प्रतिशत महिलाएं ज़्यादा धोखा देने लगी हैं जबकि पुरुषों का प्रतिशत पहले जैसा ही है।

एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर कोई अपने प्रेमी या साथी को क्यों और कब धोखा देता है? इसके जवाब में एलीसिया वॉकर कहती हैं, ”आमतौर पर यह समझा जाता है कि पुरुष सेक्स के चलते अपने साथी को धोखा देते हैं जबकि महिलाएं भावनात्मक कारणों से ऐसा करती हैं।” हालांकि एलिसिया और इस्थर दोनों ही इस बात पर एकमत होती हैं कि धोखा देने का कारण कभी भी लिंग के आधार पर निर्धारित नहीं होता।

एलिसिया बताती हैं कि अपनी किताब के लिए उन्होंने जिन 40 महिलाओं का साक्षात्कार किया उसमें से अधिकतर महिलाओं ने अपने सालों पुराने रिश्ते इसलिए छोड़ दिए क्योंकि उनके साथी उनकी सेक्स जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। वो बताती हैं, ”रिश्तों में एक वक्त ऐसा आ जाता है जब सोचना पड़ता है कि क्या महज रोमांस के जरिए अपनी जरूरत पूरी की जा सकती है या फिर शादी तोड़ दी जाए, और आखिरकार वो धोखा देने के बारे में सोचने लगते हैं।”

बीबीसी के रेडियो कार्यक्रम WOMEN HOUR में इस्थर ने बताया कि कई बार महिलाओं को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ता है, महिलाएं प्रेम और आपसी देखभाल वाले रिलेश्नशिप में रहती हैं, वो इसे तोड़ना नहीं चाहतीं लेकिन उस रिश्ते से वो जिस तरह की उम्मीद कर रही होती हैं वह उन्हें नहीं मिलता, तब वो इस असमंजस में आ जाती हैं कि वो रिश्ते को बचाएं या अपनी पहचान अपनी इच्छाओं को, क्योंकि दोनों ही मामलों में वे परेशान हो रही होती हैं।”

”हालांकि कई महिलाएं बरसों के अकेलेपन और अत्याचार से निपटने के लिए अपने साथी को धोखा देने का रास्ता अपना लेती हैं, लेकिन वे ऐसा अंतिम उपाय के रूप में ही करती हैं।”

कोई भी पत्नी जो अपने पति को धोखा देती है या कोई प्रेमी जो अपने परिवार के बाहर रिश्ते बनाकर परिवार तोड़ देता है, उन्हें समाज में नैतिक रूप से बुरा ही समझा जाता है। जब से तलाक लेना आम बात हो गई है तभी से अपने धोखेबाज साथी को माफ करने वाले व्यक्ति पर भी समाज सवाल उठाने लगा है।

एलिसिया बताती हैं, ”कई बार लोग अपने साथी की बेवफ़ाई का पता चलने के बाद भी चुप रहते हैं, क्योंकि समाज में लोग उनके बारे में भी राय बनाने लगते हैं, ऐसे में वे चुप रहकर अपने रिश्ते को बचाना ही बेहतर समझते हैं।”

इसी से जुड़ी एक बात इस्थर ने पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन के संबंध में लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि साल 1998 में जब बिल क्लिंटन के रिश्ते उनकी इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ उजागर उस वक्त हिलेरी ने चुप रहकर अपने रिश्ते को बचाए रखना बेहतर समझा। कई बार लोग सोचते हैं कि रिश्ता बरकरार रहे भले ही उसमें तकरारें होती रहें लेकिन अलग होकर रहने से अच्छा है साथी के साथ ही रहें।

आसान शब्दों में इस्थर बताती हैं कि लगभग 80 प्रतिशत लोग बेवफ़ाई का सामना करते हैं, चाहे कोई उनके साथ करे या वे किसी से करें, चाहे प्रेमी और विश्वासपात्र के रूप में, एक बच्चे के रूप में या फिर परिवार के सदस्य और दोस्त के रूप में लेकिन बेवफ़ाई का सामना करना पड़ता है। प्रेम और बेवफ़ाई को विशेषज्ञ कुछ यूं बयां करते हैंः ”प्रेम एक अनसुलझी पहेली है और बेवफाई उससे भी ज़्यादा।”