पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘यह महज बजट पेश करने का मसला है। सभी लोग यह जानना चाहते हैं अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की क्या योजना है। इसमें गलत क्या है?’ याचिकाकर्ता का कहना था कि केंद्रीय बजट एक मार्च को पेश किया जाता रहा है लेकिन इस बार एक फरवरी को पेश होना प्रस्तावित है।
बजट पेश करने की यह तारीख पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों के करीब है। जिससे बजट का असर चुनावों पर पडने की आशंका है। इस पर पीठ ने कहा कि आखिर बजट एक फरवरी को पेश हो या एक मार्च को, इससे क्या फर्क पड़ता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को 20 जनवरी तक का वक्त देते हुए कहा कि आप यह बताइए कि आखिर संविधान या कानून के किस प्रावधान का उल्लंघन हो रहा है।