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क्या फर्क पड़ता है कि बजट फरवरी में पेश हो या मार्च में: सुप्रीम कोर्ट

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्रीय बजट को टालने की गुहार करने वाले याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान या कानून का वह प्रावधान बताने के लिए कहा है जिससे सरकार को बजट टालने का निर्देश दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आखिर बजट एक फरवरी को पेश हो या एक मार्च को, इससे क्या फर्क पड़ता है। मालूम हो कि इस वर्ष केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश होना प्रस्तावित है।supreme-court-of-india_1458688113
 चीफ जस्टिस जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा से कहा कि हमें आपकी याचिका में दम नहीं नजर आ रहा है लेकिन फिर भी हम समय देते हैं कि आप बताइए कि आखिर संविधान या कानून का ऐसा कौन सा प्रावधान है जिसकी अनदेखी हो रही है। पीठ ने याचिकाकर्ता को एक हफ्ते का वक्त देते हुए अपनी याचिका के साथ पुख्ता तथ्य जुटाने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि अगर किसी प्रावधान का उल्लंघन हुआ है तो हम सरकार से इसका जवाब मांगेंगे। 

पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘यह महज बजट पेश करने का मसला है। सभी लोग यह जानना चाहते हैं अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की क्या योजना है। इसमें गलत क्या है?’ याचिकाकर्ता का कहना था कि केंद्रीय बजट एक मार्च को पेश किया जाता रहा है लेकिन इस बार एक फरवरी को पेश होना प्रस्तावित है। 

बजट पेश करने की यह तारीख पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों के करीब है। जिससे बजट का असर चुनावों पर पडने की आशंका है। इस पर पीठ ने कहा कि आखिर बजट एक फरवरी को पेश हो या एक मार्च को, इससे क्या फर्क पड़ता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को 20 जनवरी तक का वक्त देते हुए कहा कि आप यह बताइए कि आखिर संविधान या कानून के किस प्रावधान का उल्लंघन हो रहा है।

 
 

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