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कैबिनेट का बड़ा फैसला: अब बच्चा गोद लेने पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश, …

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बृहस्पतिवार को त्रिवेंहद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए। वित्त विभाग की ओर से रखे गए एक अन्य प्रस्ताव में राजकीय महिला सेवकों को पहले मातृत्व अवकाश मिलता था, जो अब बच्चे को गोद लेने पर भी मिलेगा। इसे बाल दत्तक गृहण अवकाश नाम दिया गया है, जो एक वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने पर दिया जाएगा।
सचिवालय में दिन में 11 बजे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शुरू हुई बैठक में सबसे पहले वित्त विभाग की ओर से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत एरियर और डीए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पेश किया गया।

इस पर सभी ने सहमति दी। इसी क्रम में परिवहन निगम, सिडकुल और उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के कर्मचारियों को भी सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की मंजूरी भी कैबिनेट ने दे दी है। उधर, सचिवालयकर्मियों से जुड़ा वेतन विसंगति का मामला वेतन समिति को वापस कर दिया गया है।

एक अन्य फैसले में राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया गया है। इसका फायदा ग्राम प्रधानों, उप प्रधानों, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, उप ब्लाक प्रमुखों को मिलेगा।

उत्तराखंड के करीब दो लाख राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 50 फीसदी एरियर जारी करने और एक फीसदी डीए बढ़ाने को मंजूरी दे दी गई। कर्मचारियों का जनवरी-2016 से दिसंबर 2016 के बीच का एरियर बकाया है। पुरानी पेंशन योजना में शामिल कर्मचारियों का एरियर और डीए का पैसा जीपीएफ खाते में जाएगा।

अन्य प्रमुख फैसले

वहीं, सातवें वेतन आयोग के तहत भत्तों के निर्धारण के लिए कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है, जो इसकी तिथि का निर्धारण करेगी।ए आवास विभाग के एक प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए जनपद स्तर पर विकास प्राधिकरणों का गठन करने को मंजूरी दी गई है।

तय हुआ है कि देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में प्राधिकरण बनेगा, जबकि शेष नौ पर्वतीय जनपदों में व्यवसायिक भवनों के संबंध में खास योजना लाई जाएगी। ग्राम पंचायतों में स्वच्छता बढ़ाने के मकसद से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नीति-17 को भी मंजूरी दी गई है। इसी क्रम में वैट से जुड़े कर निर्धारण वर्ष 13-14 के मामलों की समय सीमा 30 सितंबर से बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दी गई है।

एक अन्य प्रस्ताव में नगर पंचायत नंद प्रयाग और नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के सीमा विस्तार के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। वित्त विभाग के एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में विक्रय अनुबंध पत्र को एक हजार रुपये के स्टांप पर करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।

अब भूमि की कुल कीमत का दो फीसदी स्टांप शुल्क देकर ही अनुबंध हो सकेगा। इसी क्रम में 2378 ग्राम पंचायतों को केंद्रीय अनुदान की शर्तों को ध्यान में रखते हुए पंचायतों का ऑडिट कराने की बात भी तय हुई है।

पर्यटन विभाग के एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए टिहरी झील और केदारनाथ विकास प्राधिकरण को भूमि एकत्रीकरण की अनुमति दे दी है। इसके अलावा 13 जिलों में 13 पर्यटन स्थलों के लिए भी इसी प्रकार नियमावली बनाई जाएगी। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों की सेवा नियमावली को भी कैबिनेट ने स्वीकृति दी है।

अन्य प्रमुख फैसले

– देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में विकास प्राधिकरण बनाने को मंजूरी। शेष नौ पर्वतीय जनपदों में व्यवसायिक भवनों के निर्माण के संबंध में विशेष योजना जल्द लाई जाएगी।
– सातवें वेतनमान के तहत भत्तों के निर्धारण के लिए कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है, वह निर्धारित करेगी कि कब देना है। सचिव वित्त और कार्मिक भी समिति में होंगे।
– परिवहन निगम कर्मियों, सिडकुल और उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के 4500 से ज्यादा कर्मचारियों को भी सातवें वेतनमान का लाभ । लगभग 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा।
– सचिवालयकर्मियों की वेतन विसंगति का मामला वेतन समिति को वापस कर दिया गया है। इंदु कुमार पांडेय की अध्यक्षता में गठित समिति विवादित मामलों पर विचार करके अपनी रिपोर्ट देगी।
–  ग्राम प्रधानों, उप प्रधानों, जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, उप ब्लाक प्रमुख का मानदेय बढ़ेगा।

– राजकीय महिला सेवकों को पहले मातृत्व अवकाश मिलता था, मगर अब एक साल तक के बच्चे को गोद लेने पर बाल दत्तक  गृहण अवकाश देने को मंजूरी।
– नगर पंचायत नंद प्रयाग, नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के सीमा विस्तार के प्रस्ताव को भी मंजूरी। पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नीति-17 स्वच्छता को लेकर आया प्रस्ताव कैबिनेट से पास।
– 1000 रुपये के स्टांप पेपर पर भूमि विक्रय अनुबंध पत्र की व्यवस्था समाप्त, अब भूमि की कुल कीमत के दो फीसदी स्टांप शुल्क लगाकर ही अनुबंध किया जा सकेगा।
– इमारती लकड़ी व अन्य वन क्षेत्र से एकत्र वन संपदा व नदी तल से आरबीएम आदि पर शुल्क 15 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 50 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।

– वन निगम की वार्षिक लेखों की पिछली तीन वर्षों की सम्प्रेक्षा रिपोर्ट (वर्ष 2011-12, 12-13 और 13-14) का अनुमोदन कर दिया है। इसे आगामी विधानसभा सत्र में रखा जाएगा।
– टिहरी झील और केदारनाथ विकास प्राधिकरण को भूमि एकत्रीकरण की अनुमति । इसके अलावा 13 जिलों में 13 नए पर्यटन स्थलों के लिए भी यह कवायद करने को नियमावली बनाई जाएगी।
– जौलीग्रांट में एसडीआरएफ के दफ्तर के लिए आवश्यक वन भूमि पर के भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क जो करीब पच्चीस फीसदी है, उसे माफ करने का भी निर्णय कैबिनेट ने लिया है।
– विभिन्न सेवा नियमावली को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसमे पर्यटन, लेखा, राज्य योजना आयोग और सचिवालय निजी सचिव सेवा नियमावली आदि प्रमुख हैं।