पार्टियाँ नोटबंदी से अबतक का खाता सार्वजनिक करें, इसकी मांग लगातार लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के संयोजक प्रताप चन्द्र कर रहे हैं.प्रताप इस सम्बन्ध में मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से भे लिखित मांग भी कर चुके हैं.|
आज प्रताप चंद्रा के “कालाधन बना पार्टीधन” मुद्दे को लखनऊ में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने भी समर्थन करते हुए कहा कि “सभी पार्टियों को खाता सार्वजनिक करना ही चाहिये” |
सभी राजनीतिक पार्टयों का खाता हो सार्वजनिक
खाता सार्वजनिक करनें की मांग को लेकर प्रताप चंद्रा भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा पार्टियों के प्रदेश कार्यालय पर धरना दे चुके हैं पर पार्टियाँ नागरिकों से कालाधन ख़त्म करने के प्रयास में सहयोग की उम्मीद करती हैं परन्तु खुद पार्टी का खाता सार्वजनिक नहीं करती, क़ानून के तहत आयकर विभाग सबकी जाँच कर सकता है पर पार्टियों की नहीं |
पार्टियाँ अब नहीं ले सकतीं 500 /1000 के पुराने नोट के चंदे:
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक पार्टियां 500 और 1000 रूपए के नोटों में चंदा नहीं ले सकतीं, क्योंकि ऐसे नोट अब वैध नहीं रह गए हैं। अधिया ने कई ट्वीट करके कहा, ‘‘राजनीतिक पार्टियों को कथित छूट से जुड़ी खबरें गलत और भ्रामक हैं । नोटबंदी और कर संशोधन कानून, 2016 लाने के बाद राजनीतिक पार्टियों को कोई छूट या विशेष सुविधा नहीं दी गई है ।’’
ख़बरों के अनुसार 8 नवंबर से नोटबंदी के ऐलान के बाद आम लोगों को जहां कैश की दिक्कत हो रही है वहीं इस दौर में भी ज्यादातर राजनीतिक दल कैश ही चंदा ले रहे हैं. जाहिर है इसमें पुराने नोटों में भी चंदा दिए जाने की पूरी उम्मीद है तो अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक पार्टियों के पास पुराने नोटों की सूरत में काला धन आने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. और इसे बैंक में जमा करने पर उनसे कोई पूछताछ नहीं होगी.
हालाँकि सरकार ने राजनीतिक पार्टियों के खाते सार्वजनिक करने की बात अभी नहीं कही है.