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कालाधन बना राजनीतिक पार्टीयों का धन

कालेधन को रोकने सम्बन्धी पीएम मोदी के फैसले की जहाँ एक ओर सराहना हो रहीं है तो वहीँ इसमें कुछ कमियां भी रह गयीं हैं.जिससे आज भी कालाधन धड़ल्ले से सफेद हो रहा है और इस कालेधन को सफेद करने का माध्यम है राजनीतिक पार्टियाँ.

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                प्रताप चंद्रा

लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन ने मांग की है कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियां नोटबंदी से अबतक का खाता सार्वजनिक करें.लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन के संयोजक का कहना है कि पार्टियाँ व्यापारियों का कालाधन पार्टी के खाते में धड़ल्ले से खपा रही हैं जो अब पार्टीधन बन रहा है.

क्या हैं मांग ?

लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन के संयोजक प्रताप चंद्रा ने कहा कि “प्रधानमंत्री नें सराहनीय कदम उठाते हुए अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधियों से नोटबंदी के बाद से अबतक बैंक खाता स्टेटमेंट मंगाया जो अपने जनप्रतिनिधियों को पारदर्शी बतानें की कोशिश है | परन्तु कालाधन तो जमा हो रहा है पार्टियों के खाते में जिसके कई मामले अबतक सामने भी आ चुका हैं|”उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटबंदी से नेताओं और पार्टियों की चांदी हो गयी यानि एडवांस में पैसा आ रहा है, नियम ऐसा कि पार्टियों से नहीं पूछा जा सकता कहाँ से आया, बस जमा कर लो कालाधन, इसको रोक लें तो अरबों कालाधन समाप्त हो जायेगा |

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पार्टी कार्यालयों पर दिए धरने 

   इस मांग को लेकर प्रताप चंद्रा ने लखनऊ के हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा पर धरना दिया गया, साथ ही सभी पार्टी के कार्यालयों पर धरना भी दिया और मांग की कि पार्टियाँ अपने खाते सार्वजनिक करें | 

चुनाव आयोग से अपील

प्रताप चंद्रा ने इसकी मांग मुख्य चुनाव आयुक्त श्री नसीम जैदी से भी इसकी लिखित मांग की है| चुनाव आयोग से भी लिखित मांग किया कि जल्द से जल्द सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को आदेशित करें कि सभी पार्टियाँ नोटबंदी के बाद से अबतक का बैंक खाता स्टेटमेंट सार्वजानिक करें, जिससे राजनीतिक दलों की सुचिता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता जनता के सामनें कायम रह सके |

       bbलोकतंत्र मुक्ति आंदोलन के संयोजक प्रताप चंद्रा ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटबंदी से नेताओं और पार्टियों की चांदी हो गयी है यानि एडवांस में पैसा आ रहा है, नियम ऐसा कि पार्टियों से नहीं पूछा जा सकता कहाँ से आया, इसको रोक लें तो अरबों कालाधन समाप्त हो सकता है |प्रताप चन्द्र अपने इस मुहीम को अंतिम सांस तक जारी रखने की बात कहते हैं.

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