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कहीं साइबर बुलिंग का शिकार तो नहीं आपका बच्चा?

टीनएजर्स धड़ल्ले से फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी फोटो और पर्सनल डिटेल्स शेयर कर रहे हैं. हालांकि, यह सब करते वक्त उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं होता है कि कोई उनके डिटेल्स और फोटो को लगातार ट्रैक करके गलत इस्तेमाल कर सकता है या उन्हें परेशान कर सकता है. पिछले कुछ सालों में टीनएजर्स के डिटेल्स ट्रैक करके उनके गलत इस्तेमाल के मामले भारत में तेजी से बढ़े हैं. डिजिटल वर्ल्ड में ऐसे मामलों को साइबर बुलिंग का नाम दिया गया है. नॉटर्न के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 45 फीसदी लोगों को किसी न किसी रूप में साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा है. साइबरबुलिंग के 42 फीसदी मामलों में पीड़ित महिलाएं रही हैं.

साइबर बुलिंग के मामले में टॉप पर भारत
Ipsos ने साइबर बुलिंग को लेकर दुनिया भर के देशों में एक सर्वे किया. साइबर बुलिंग के मामले में भारत टॉप पर रहा. भारत में सर्वे में शामिल 32 फीसदी पैरेंट्स ने कहा कि उनके बच्चों को साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा है. वहीं, ब्राजील में 20 फीसदी पैरेंट्स ने अपने बच्चों के साइबर बुलिंग की बात स्वीकारी है. कनाडा में 18 फीसदी, अमेरिका में 15 फीसदी पैरेंट्स ने माना कि उनके बच्चे साइबर बुलिंग की चपेट में आए हैं. भारत में पैरेंट्स का कहना है कि साइबर बुलिंग तेजी से बढ़ी है.

भारत में साइबर बुलिंग की फ्रीक्वेंसी अमेरिका से ज्यादा

 

क्या है साइबर बुलिंग
साइबर बुलिंग एक तरह का हैरसमेंट है, जिसमें संपर्क करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है. किसी व्यक्ति के खिलाफ अफवाहें फैलाना, धमकी देना, सेक्सुअल कमेंट, पीड़ित व्यक्ति की पहचान जाहिर करना, घृणास्पद बयानबाजी करना साइबर बुलिंग में शामिल हैं. साइबर बुलिंग की चपेट में आए व्यक्ति में कमजोर मनोबल, आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्तियां, बदला लेना, भावात्मक रूप से कमजोर होना, हतोत्साहित और लगातार उदास बने रहना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. कई स्टडीज से यह बात सामने आई है कि साइबर बुलिंग, ट्रेडिंग बुलिंग जितनी खतरनाक हो सकती है.