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कल होगा तय कौन बनेगा उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री

narendra-modi-amit-shah_1458383199उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री कौन होगा। इसकी तस्वीर शनिवार को ही साफ हो पाएगी। इस दिन भाजपा विधायक दल की बैठक में नेता का चयन होगा। यूपी के चेहरे के सवाल पर संघ और भाजपा नेतृत्व के बीच पिछड़े-दलित समेत अन्य बिरादरी से जुड़े तीन नामों पर चर्चा हो चुकी है। माना जा रहा है कि शुक्रवार दोपहर तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनमें से किसी एक चेहरे पर सहमति बना लेंगे। सीएम पद के लिए केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के अलावा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के नाम चल रहे हैं। 
गौरतलब है कि नतीजे आने के बाद संघ ने सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सुझाया था। इस बीच, अमित शाह स्वतंत्रदेव सिंह, विधायक सतीश महाना, सुरेश खन्ना सहित कुछ अन्य विधायकों के साथ बैठक कर चुके हैं। इस सिलसिले में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पीएम मोदी और शाह के बीच देर रात बैठक हुई थी। माना जा रहा है कि बृहस्पतिवार देर रात या शुक्रवार को उत्तराखंड भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले शाह और मोदी उत्तर प्रदेश के चेहरे पर सहमति बना लेंगे, क्योंकि उत्तराखंड का चेहरा यूपी के चेहरे की बिरादरी से ही तय होगा।
अंतिम फैसले के लिए अब निगाहें पीएम मोदी पर
पार्टी के अतिविशिष्ट सूत्र के मुताबिक संघ की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का नाम सुझाए जाने के बाद पार्टी नेतृत्व और आरएसएस के बीच तीन नामों पर चर्चा हुई है। इन तीन में से किसी को भी मुख्यमंत्री बनाए जाने पर संघ सहमत है। बातचीत के दौरान मंत्रिमंडल पर भी चर्चा हुई। इसमें दलित, पिछड़ी और अगड़ी जातियों में संतुलन साधने की रणनीति तैयार की गई है।
हालांकि तीन नामों का खुलासा नहीं हो पाया है। अब पीएम मोदी और शाह शुक्रवार दोपहर से पहले इन नामों में से किसी एक पर सहमति बनाएंगे। उक्त सूत्र का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बिना चेहरे के चुनाव में उतरी भाजपा की जीत में सिर्फ पीएम मोदी का योगदान है।

ऐसे में अंतिम फैसला जाहिर तौर पर उनका ही होगा। हमेशा अपने फैसलों से चौंकाने वाले पीएम उत्तर प्रदेश में चेहरा तय करने के मामले में भी सबको चौंकाएंगे। नेतृत्व सियासी रूप से सबसे महत्वपूर्ण इस सूबे में मिले प्रचंड जनादेश के कारण पहले ही उलझा हुआ था। वह तय नहीं कर पा रहा है कि इस बड़े सूबे को संभालने के लिए किसी बड़े और करिश्माई चेहरे को आजमाया जाए या फिर लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की ऐतिहासिक जीत की पटकथा लिखने वाले गैर यादव ओबीसी पर भरोसा जताया जाए।

समस्या यह भी है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को अगड़ी और गैर यादव पिछड़ी जातियों दोनों के ही एकमुश्त वोट मिले हैं। चूंकि नेतृत्व ने उत्तराखंड के चेहरे पर भी अंतिम मुहर नहीं लगाई है। ऐसे में संदेश साफ है कि फिलहाल उत्तर प्रदेश के बारे में भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

शाह के दायित्व सौंपते ही बिगड़ी मौर्य की तबीयत

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार केशव प्रसाद मौर्य की तबीयत बृहस्पतिवार को अचानक बिगड़ गई। समझा जाता है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मौर्य को मुख्यमंत्री चुनने की जिम्मेदारी जैसे ही सौंपी, उसके कुछ देर बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। बाद में सीने में दर्द और ब्लडप्रेशर की शिकायत के बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती कराया गया। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत पहले से ठीक है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार की अटकलों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री चुनने की जिम्मेदारी देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि हमने मुख्यमंत्री चुनने की जिम्मेदारी केशव पर छोड़ दी है। उसके बाद शाह वहां से चले गए।
मोदी-शाह की मुश्किल
दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पीएम मोदी और शाह को ऐसे चेहरे का चयन करना है जो लोकसभा चुनाव तक पार्टी के प्रभाव को बनाए रख सके। इसके लिए अगर अगड़ी जाति पर भरोसा किया गया तो फिर पिछड़ी जाति को साधने का फार्मूला बनाना दूसरी बड़ी चुनौती होगी। हालांकि शाह और मोदी की पहली पसंद गैर यादव ओबीसी चेहरे पर दांव लगाना है।

विस अध्यक्ष के लिए पचौरी, सत्यप्रकाश का नाम
विधानसभा अध्यक्ष के लिए नेतृत्व ने गोविंदपुर के विधायक सतीश पचौरी और मेरठ के विधायक सत्यप्रकाश के नाम पर मंथन किया है। अध्यक्ष इन्हीं दो में से कोई एक होगा।

 
 

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