पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल खड़े किए हैं। फेसबुक वाल पर एक पोस्ट के जरिए उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या असहमति के स्वरों का दबा दिया जाएगा। उनकी मानें तो गौरी की हत्या के साथ दो हत्याएं हुई हैं। एक निर्भीक महिला पत्रकार की और दूसरी असहमति के प्रबल ध्वजवाहक की।
उन्होंने गौरी की हत्या को भारतीय लोकतंत्र की बड़ी त्रासदी करार देते हुए कहा कि क्या असहमति के स्वर दबेंगे? क्या असहमति के स्वरों को मिल रही धमकियां ऐसे स्वरों को धीमा कर देंगे? उनके मुताबिक, यह चुनौती संसदीय लोकतंत्र, देश के संविधान और संविधान के प्रहरी उच्चतम न्यायालय के सम्मुख है।
पोस्ट में हरीश रावत आगे लिखते हैं कि असहमति के स्वर सत्ता को हमेशा कर्कश लगे हैं। जब उनकी सरकार थी तो उन्हें भी मीडिया में कुछ लोगों के सवाल चुभते थे। बस अंतर इतना है कि वह ऐसे सवालों के आगे झुकते थे, आज लोग ऐसे सवाल करने वालों को झुकाना चाहते हैं।