Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

इस दीवार ने जिंदगियां ही नहीं खुशियां भी छीन लीं

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
लकड़ी का खोखा सहन की दीवार से सटा कर रखते समय किसी ने तसव्वुर भी नहीं किया था यह तीन परिवारों की खुशियां छीन लेगा। भारी खोखे के टकराते ही कच्ची दीवार भरभरा कर ढह गई और दीवार के पास खेल रहे तीन मासूमों की जिंदगियां निगल लीं। बच्चों के दीवार के नीचे दबते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। लोग मलबा हटाकर बच्चों को निकालने की कोशिश करने लगे। जब तक मलबा हटाया जाता बच्चों की जान जा चुकी थी। बच्चों की लाशें देख परिवारों में मातम का माहौल हो गया। डीएम, एसपी, एसडीएम व सीओ सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दुख जताया। पीडि़त परिवारों को डीएम ने सरकारी मदद दिलाने की घोषणा भी की। 
फरधान थाना क्षेत्र के ग्राम परसेहरा बुजुर्ग निवासी रशीद लकड़ी का खोखा अपने सहन में बनी दीवार  से सटाकर रखना चाहते थे। सोमवार की सुबह सात बजे वह गांव के कुछ लोगों को बुलाकर लाए। सभी खोखे को उठाकर सटाकर रखने का प्रयास करने लगे। इसी बीच अधिक भार के चलते खोखा पलटने लगा और वह खड़ी पुरानी कच्ची दीवार से टकरा गया। टक्कर लगते ही दीवार भरभरा कर गिर गई। इस दौरान दीवार के पास ही खेल रही सिमरन (5) पुत्री बरकत अली, सबीना (5) पुत्री जमशेद अली व मोहर्रम (8) पुत्र आमीन उसी के नीचे दब गए। बच्चों पर दीवार गिरती देख व बच्चों के चीखने पर लोग मौके पर जमा हो गए। सभी एकजुट होकर मलबे को हटाने का प्रयास करने लगे। जब तक बच्चों को मलबे के नीचे से निकाला जाता सभी बच्चों की मौत हो चुकी थी। 
मामले की सूचना ग्रामीणों ने फरधान एसओ शिवानंद प्रसाद यादव को दी गई। एसओ दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। बड़ा हादसा देख उन्होंने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। इस पर डीएम आकाशदीप, एसपी शिवाशिम्पी चिनप्पा, एसडीएम सदर आलोक वर्मा व सीओ सिटी हरेराम मौर्या सहित कई अधिकारी  मौके पर पहुंचे। डीएम ने पीडि़त परिवार से मिलकर शोक संवेदनाएं दीं। परिवार को सरकारी सहायता दिलाने का आश्वासन भी दिया। पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। 
01

मजदूर पेशा परिवार के हैं बच्चे

हादसे में मारे गए तीनों ही बच्चों के परिवार की माली स्थिति बहुत ही खराब है। उनके पास कोई खास जगह-जमीन नहीं है। तीनों ही परिवार के लोग मेहनत-मजदूरी करके दो जून की रोटी जुटाते हें। बच्चे गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। इन दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहे हैं। बच्चे सुबह घर से निकलकर आपस में खेलते थे। लेकिन आज जब वह खेलने के लिए निकले तो मां-बाप को अंदाजा नहीं था कि अब वह कभी लौट कर वापस नहीं आएंगे।  के लिए प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है।
03 (1)

Leave a Reply

Your email address will not be published.