गंगी: आज जहां इंसान चांद पर पहुंच चुका है, वहीं टिहरी जिले के सुदूरवर्ती गंगी गांव के ग्रामीण आदिम युग में जीने को विवश हैं। 120 बच्चों समेत 600 आबादी वाले इस गांव के लगभग 300 लोगों ने कभी गाड़ी नहीं देखी। गांव के अधिकतर बच्चों को मोबाइल और कैमरे के बारे में नहीं मालूम। देश के राष्ट्रपति का नाम पूछो तो बच्चे गांव के प्रधान नैन सिंह का नाम लेते हैं। महिलाओं को सिर्फ इतना पता है कि उनका जीवन खेती करने और खाना पकाने के लिए है। पुरुष पशु चराने को ही जिंदगी मानते हैं।
जब 15 किमी की चढ़ाई नापकर जिला मुख्यालय टिहरी से 120 किमी दूर खतलिंग ग्लेशियर की तलहटी में बसे गंगी गांव पहुँचो तो एक अनोखी दुनिया में पहुंचने का अहसास हुआ। समुद्रतल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में बिजली, पानी, सड़क, संचार कुछ भी नहीं है। गांव में पुरुष भेड़ की ऊन का बना सदियों पुराना परिधान डिगलू, जबकि महिलाएं आंगड़ी पहनती हैं। यहां स्वेटर और जैकेट का नाम भी लोग नहीं जानते। बीमार होने पर जड़ी-बूटी ही सहारा हैं।