भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं। प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाने वाला प्रदोष व्रत भी इन्हीं में से एक है। यह व्रत अलग-अलग वारों के साथ मिलकर विशेष योग बनाता है. हिंदू धर्म के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को पडने वाला प्रदोष व्रत इस बार 8 मई, सोमवार को है चूंकि सोमवार भी भगवान शिव का ही दिन माना जाता है. इसलिए इस व्रत का महत्व बहुत अधिक है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
सोम प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है . सुबह आदि करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी का पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, शक्कर व गंगा जल से अभिषेक करे. इसके बाद शिव को बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं. दिन भर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. शाम को फिर से स्नान कर शिवजी का षोडशोपचार 16 सामग्रियों से पूजा करें. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं.
महामृत्युजंय मंत्र का भी करें जाप
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात ||