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आज आरबीआई करेगा रेपो रेट की समीक्षा, जीएसटी और पुराने नोट बनेंगे बड़ा कारण

_92634291_035711258-1रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बुधवार को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करेगा। आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में गठित मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी द्वारा हालांकि रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव करेगी, इसकी उम्मीद काफी कम है। 
 
1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी और मानसून की चाल को देखते हुए ऐसा होना मुश्किल है। फिलहाल रिजर्व बैंक वेट एंड वॉच की रणनीति पर काम करेगा। मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक अभी भी आरबीआई के पास नोटबंदी के बाद 60 बिलियन डॉलर की लिक्विडीटी मौजूद है।

इसके साथ ही महंगाई दर में कमी, पिछले दो सालों में विकास दर का निचले स्तर पर होना और 1992 के बाद लोन की डिमांड में कमी होना भी इसके प्रमुख कारणों में शामिल है।

अभी भी आ रही है पुराने नोट

आरबीआई के पास पिछले साल नवंबर में बंद हुए 500 और 1000 के नोट अभी भी आ रहे हैं, जिनको खपाना मुश्किल होता जा रहा है। नोटबंदी के समय आरबीआई को भी नहीं पता था कि इतने महीने बीत जाने के बाद भी बैंकों से पुराने नोट मिलते रहेंगे।

हालांकि यह वो नोट हैं जिन्हें पुलिस, आयकर विभाग और ईडी छापेमारी के दौरान जब्त कर रहे हैं। इन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई होने के बाद  बैंकों के जरिए ये नोट आरबीआई के पास पहुंच रहे हैं। 

मानसून का अनुमान भी बनेगा वजह

मौसम विभाग ने कहा है कि देश में अब पहले के अनुमान से ज्यादा बारिश होगी। जून से सितंबर के दौरान औसतन 98 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। अप्रैल में अंदाजा लगाया गया था कि देश में 96 फीसदी बारिश होगी। बहरहाल, इस बार बादल सबसे ज्यादा मध्य भारत को भिगोएंगे। यहां सौ फीसदी बारिश होने की संभावना है।

भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक केजे रमेश ने कहा कि लंबी अवधि के दौरान देश में औसतन 98 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। अल नीनो का प्रभाव कम होने के चलते ऐसा हुआ है। लंबी अवधि में जुलाई में 96 फीसदी बारिश होगी।

वहीं अगस्त में 99 फीसदी तक बारिश हो सकती है। रमेश के मुताबिक, लंबी अवधि के दौरान मध्य भारत में 100 फीसदी, पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर भारत में 96 और दक्षिणी प्रायद्वीप में 99 फीसदी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार 96 से 100 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। वहीं 100 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य से ऊपर माना जाता है।

 
 

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