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अवैध असलहा फैक्ट्री का भांडाफोड़, चार गिरफ्तार

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।
एक के बाद एक असलहा फैक्ट्रीयों का हो रहा खुलासा, पुलिस की सफलता तो हो सकती है लेकिन इसके पीछे की एक सच्चाई यह भी है कि इस कारोबार पर पुलिस नकेल क्यों नहीं कस पा रही है ? जिले में हुई तमाम हत्याओं में इन्ही देशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में इन अवैध फैक्ट्रियों पर अब जिले भर में बड़ी पुलिस कार्रवाई की जानी जरूरी हो गई है। हालांकि सिंगाही पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। भारी असलहों के साथ पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
 
पुलिस लाइन सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में एसपी एस.चनप्पा ने बताया कि सिंगाही एसओ रामकुमार यादव 21 सितम्बर की रात हमराही उप निरीक्षक विपिन कुमार, कांस्टेबल कमलेश कुमार, श्रीकृष्ण यादव, दीपक चंद्र, पुष्पेंद्र कुमार, क्राइम ब्रांच टीम उप निरीक्षक शिव कुमार, अजब सिंह, कांस्टेबल शराफत अली, रवींद्र नाथ त्रिपाठी, परीक्षित चैरसिया, अजीत कुमार व चालक संजय सिंह के साथ गश्त कर रहे थे। तभी मुखबिर से महादेवाटांडा सिंगाही में कुछ लोग द्वारा असलहा बनाने की सूचना मिली। सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची। वहां कुछ लोगों द्वारा किसी चीज को ठोंकने की आवाजें सुनाई दीं। सूचना को सही मानकर पुलिस ने चारों ओर से घेरकर सक्रियता वाले स्थान पर छापामारी की। पुलिस को देख वहां मौजूद लोग घबरा गए और भागने की कोशिश करने लगे। इस पर पुलिस ने आवश्यक बल प्रयोग कर सभी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में चारों ने अपने नाम इसरार पुत्र समसुद्दीन निवासी लबेदपुर थाना धौरहरा हालपता गौरिया प्रहलादपुर थाना लहरपुर जिला सीतापुर, पुन्नू पुत्र अलीहसन निवासी गौरिया प्रहलादपुर थाना लहरपुर जिला सीतापुर, मो. शमी पुत्र मो. रफी निवासी लोधरियापुर थाना लहरपुर जिला सीतापुर व रफीक पुत्र समसुद्दीन निवासी लबेदपुर थाना धौरहरा खीरी बताया। 
   
सभी ने असलहा बनाने की बात कुबूल की। मौके से पुलिस को निर्मित तीन 315 बोर रायफलें, तीन 315 बोर अद्धी, पांच 12 बोर अद्धी, चार 315 बोर तमंचा, पांच 12 बोर तमंचे बरामद किए। इसी तरह अर्द्धनिर्मितों में एक 12 बोर अद्धी, चार 12 बोर तमंचे, एक 315 बोर तमंचा सुपुर्दगी में लिए। इसके अलावा आठ 12 बोर नाल, दो 315 बोर नाल, पांच बाडी, एक बाडीगार्ड, एक वैलडिंग राड, दो वर्मा, एक 12 बोर खोखा, एक 315 बोर खोखा, तीन 315 बोर जिंदा कारतूस, पांच 12 बोर जिंदा कारतूस, दो समसी, एक छेनी, तीन स्प्रिंग व दो ट्रैगर भी बरामद हुए। प्रेसवार्ता के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को जेल भेज दिया है। 

कहानी अभी अधूरी है

पुलिस ने असलहा फैक्ट्री पकडने, अवैध निर्माताओं की गिरफ्तारी व असलहों की बरामदगी का तो खुलासा कर दिया। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी इस बात का खुलासा नहीं किया कि इस फैक्ट्री को कौन संचालित कर रहा था? बनने वाले असलहों को किसे पहुंचाया जाता है? असलहा बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाले माल को कहां से खरीदा जाता था? इसके लिए पैसे की व्यवस्था कहां से की जाती थी? यह सारे सवाल इसलिए और अहम हो जाते हैं क्योंकि यह क्षेत्र भारत-नेपाल बार्डर के करीब है। इस वजह से यह अवैध असलहा फैक्ट्री और भी संगीन हो जाती है। कहीं इसकी बिकवाली देशविरोधी ताकतों को तो नहीं की जा रही थी। ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका फिलहाल पुलिस के पास कोई जवाब नहीं। 

बदल चुके हैं भारत-नेपाल के रिश्ते

भारत और नेपाल कभी रोटी और बेटी का रिश्ता कायम करने के लिए पहचाने जाते थे। लेकिन लोकतंत्र की बहाली के बाद इन रिश्तों में काफी बिखराव आया है। नेपाल में भारत विरोधी गतिविधियां तेज हो गई हैं। चीन जहां नेपाल का इस्तेमाल एक जमीन के तौर पर कर रही है वहीं आईएसआई देश को भीतर से कमजोर करने के लिए तरह-तरह के षडयंत्र रच रही हैं। कई बार भारत-नेपाल बार्डर से जाली करेंसी, मादक पदार्थ व संदिग्ध विदेशी पकड़े गए हैं। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में अशांति फैलाने के लिए यह भारत विरोधी पैसे के दम पर इस प्रकार के कारनामों को अंजाम देने से बाज नहीं आ सकते।

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