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अलगाववादीयो के खिलाफ सख्त हुई सरकार वापस लिया सुरक्षा और सुविधाएं

नई दिल्ली। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए उन्हें दी गई सभी सुरक्षा और सुविधाएं वापस लिए जाने का बड़ा निर्णय लिया है। कश्मीर के उच्चाधिकारियों के मुताबिक, अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह की सुरक्षा और वाहनों की सुविधा रविवार से वापस ली जाएगी। 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

अफसरों ने मुताबिक, अलगाववादी नेताओं को किसी भी कारणवश सरकार ने जो सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, उसे वापस लिया जाएगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि किसी और अलगावादी को सरकारी सुरक्षा या सुविधाएं हासिल है, तो राज्य पुलिस मुख्यालय इसकी समीक्षा करेगा और इसे तुरंत वापस ले लिया जाएगा।

कश्मीर में भले ही आतंकवाद लगातार बढ़ रहा हो, लेकिन यहां के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार सालाना करीब 10 करोड़ रुपए खर्च करती रही है। एक आरटीआई में यह बात सामने आई है कि इनकी सुरक्षा और सुविधाओं पर खर्च राज्य सरकार करती है। ये चुनिंदा अलगाववादी महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं और फाइव स्टार श्रेणी के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। इनकी सुविधाओं के बारे में दैनिक भास्कर ने मिलिट्री ऑपरेशंस के महानिदेशक रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया से पूछा तो उन्होंने पलटकर सवाल किया कि यह पूछिए कि क्या सुविधा नहीं दी जा रही, तो बताना ज्यादा आसान होगा।

भाटिया ने कहा कि कश्मीर घाटी में एक अलगाववादी नेता पर 20 से लेकर 25 सुरक्षाकर्मी दिनरात अलर्ट रहते हैं। पाकिस्तान से जो फंड आ रहा है उसका हिसाब तो इस्लामाबाद ही दे सकता है, लेकिन इन अलगाववादियों को टैक्स पेयर्स की जेब से सुरक्षा देना समझ से परे है। ये तो आस्तीन में सांप पालने जैसा है। पूर्व में एक आतंकी गिरोेह से ताल्लुक रखने वाले और 2016 में आत्मसमर्पण कर चुके तारिक ने बताया कि अलगाववादी जमीन ज्यादा खरीदते हैं। क्योंकि यह प्रॉपर्टी आसानी से पकड़ में नहीं आती है। ये लोग अपने रिश्तेदारों के नाम से ये प्रॉपर्टी खरीदते हैं। कई लोग इस पर होटल या घर का पक्का निर्माण नहीं करवाते। इनमें सेब और अखरोट जैसे फलों की खेती करवाते हैं ताकि प्रॉपर्टी सुरक्षित रहे। हर साल घाटी में करीब 20 प्रतिशत की दर से प्रॉपर्टी के रेट बढ़ते हैं। इस तरह ये जमीनों से मोटा मुनाफा कमाते हैं।

जिन अलगाववादियों को सुरक्षा कवच मिला हुआ है उनमें सज्जाद लोन, बिलाल लोन और उनकी बहन शबनम, आगा हसन, अब्दुल गनी बट्‌ट और मौलाना अब्बास अंसारी प्रमुख हैं। हुर्रियत नेता बट्‌ट की सुरक्षा पर एक दशक में करीब ढाई करोड़ खर्च हुए हैं जबकि अब्बास अंसारी पर 3 करोड़ रुपए। राज्य में 25 लोगों को जेड प्लस सुरक्षा है। इसके अलावा करीब 1200 लोगों के पास अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा है।

अकूत संपत्ति स्कूल, होटल, मकान-प्लाॅट सब : यासीन मलिक 1990 के आसपास रेहड़ी चलाकर गुजारा चलाता था। आज वह श्रीनगर के सबसे महंगे बाजार लालचौक इलाके की दो तिहाई से भी ज्यादा संपत्ति का मालिक है। इसकी कीमत 150 करोड़ से ज्यादा है। यहां रेजीडेंसी होटल भी इसी का है। इसकी कीमत 20 से 40 करोड़ रुपए तक है।

जीवनस्तर घर में लकड़ी का महंगा काम : सैयद अली शाह गिलानी के घर पर आधा दर्जन से ज्यादा नौकर हैं। जब ये इलाज के लिए दिल्ली जाता है तो गाड़ियों का खर्च राज्य सरकार उठाती है। और फाइव स्टार स्तर के अस्पताल में इलाज चलता है। इलाज का खर्च ये खुद करते हैं। इसी तरह मीरवाइज की काफी लग्जरी लाइफ है।

इसका स्टाफ टेक्नोलॉजी फ्रेंडली है। इसके पास आईपैड से लेकर आईफोन तक हैं। इसके स्टाफ में करीब डेढ़ दर्जन कश्मीरी युवक हैं, जो सोशल मीडिया से लेकर इसके धंधे का हिसाब रखते हैं। घर बहुत आलीशान है। घर के चारों ओर सीसीटीवी लगे हैं। घर की बाहरी बाउंड्री की ऊंचाई करीब 15 फीट है। इसके घर में जो फर्नीचर है वो अखरोट की लकड़ी से बना है जो आम लकड़ी के हिसाब से लगभग दोगुना महंगा होता है। पूरे घर में वुडन फर्श है। हर कमरे की छत पर कश्मीरी नक्काशी है। ऐसे ही आलीशान घर लगभग हर अलगाववादी नेता के हैं।