नकदी की कमी के चलते मांग में आई कमी ने दिसंबर में न केवल कल कारखानों के पहियों की रफ्तार धीमी कर दी, बल्कि ऑटो कंपनियों की बिक्री को भी प्रभावित किया है
नोटबंदी के बाद उपजे नकदी के संकट का असर अब अर्थव्यवस्था के तमाम मोर्चो पर दिखने लगा है। नकदी की कमी के चलते मांग में आई कमी ने दिसंबर में न केवल कल कारखानों के पहियों की रफ्तार धीमी कर दी, बल्कि ऑटो कंपनियों की बिक्री को भी प्रभावित किया है। दिसंबर, 2016 में मैन्यूफैक्चरिंग के पीएमआइ में तीन अंकों की गिरावट आई है।
बीते वर्ष के दौरान यह पहला मौका है जब निक्केई मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई है। नकदी की कमी ने कारखानों के ऑर्डर में तेज कमी आई। इसके चलते उत्पादन घट गया। दिसंबर, 2016 में पीएमआइ सूचकांक पहली बार 50 से नीचे उतरकर 49.6 पर आ गया। जबकि नवंबर में यह 52.3 पर था। महीने के आधार पर भी देखें तो यह बीते आठ वर्ष की सबसे तेज गिरावट है। पीएमआइ का 50 से नीचे आना खराब प्रदर्शन का संकेत है। पीएमआइ इंडेक्स पर आधारित रिपोर्ट तैयार करने वाले अर्थशास्त्री पॉलीअन्ना डी लीमा का कहना है कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट अचानक बंद हो जाने से साल के अंत में देश की मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां प्रभावित हुईं। उनके मुताबिक नकदी की कमी ने उत्पादक यूनिटों की तरफ से होने वाली खरीद और रोजगार दोनों पर असर डाला। हालांकि दिसंबर में मैन्यूफैक्चरिंग की गिरावट ने अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में इसके प्रदर्शन को नकारात्मक नहीं किया है।
नोटबंदी ने ऑटो कंपनियों को भी प्रभावित किया है। दिसंबर में कार और कॉमर्शियल वाहन बनाने वाली कई कंपनियों की बिक्री में कमी आई है। बीते माह कार बनाने वाली कई कंपनियों की बिक्री एक से 12 फीसद तक कम हुई है। हालांकि टाटा मोटर्स जैसी कुछ कंपनियों की कारों की बिक्री इस महीने बढ़ी भी है। लेकिन कॉमर्शियल वाहन नकदी के संकट से फिर भी खुद को नहीं बचा पाए।
अशोक लीलैंड की बिक्री दिसंबर में 12 फीसद गिरी। कंपनी के भारी और मध्यम कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री में भी नौ फीसद की कमी आई। इस दौरान देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई की बिक्री 4.3 फीसद घट गई। जबकि दिग्गज कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री में एक फीसद की कमी आई। फोर्ड इंडिया की घरेलू बिक्री भी पिछले साल के दिसंबर के मुकाबले 6.04 फीसद घट गई।