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अमेरिका समेत चार देशों ने रूस के 81 राजनयिकों को निकाला, जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर हुआ रूस

ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को जहर देकर मौत के घाट उतारने के मामले में रूस चौतरफा घिर गया है। इस मामले में सोमवार को कई देशों ने एक साथ रूस के खिलाफ कार्रवाई की। अमेरिका समेत चार अन्य देशों ने रूस के 81 राजनयिकों को देश से छोड़ने को कहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 60 रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया। वहीं जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी चार रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने की बात की पुष्टि की। फ्रांस ने भी साफ किया कि वह चार रूसी राजनयिकों को देश से बाहर का रास्ता दिखा रहा है।

यूक्रेन भी ब्रिटेन के सुर से सुर मिलाते हुए 14 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने को कह चुका है। वहीं पॉलैंड और लिथुआनिया ने भी कहा है कि वह जल्द ही रूसी राजनयिकों को देश से निकालने का फैसला लेने वाले हैं। इसके अलावा 14 अन्य यूरोपीय संघ के देश भी रूस के खिलाफ कार्रवाई करने की पुष्टि कर चुके हैं।

जिन रूसी राजनयिकों पर कार्रवाई हुई उन्हें इन सभी देशों ने रूस के ‘खुफिया अधिकारी’ होने का दावा किया है। बता दें कि यूरोपीय संघ के नेता पिछले हफ्ते इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि दक्षिणी इंग्लैंड में पूर्व रूसी जासूस पर नर्व एजेंट से हमले के पीछे रूस का हाथ था।

ट्रंप ने इस मामले पर सख्ती दिखाई और सियेटल स्थित रूसी वाणिज्य दूतावास को भी बंद करने के आदेश दे दिए। ट्रंप ने जिन रूसी राजनयिकों के खिलाफ यह आदेश सुनाया उन में से करीब एक दर्जन संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी मिशन में कार्यरत थे।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सरह सैंडर्स ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा, हमने अपनी जांच में पाया कि यह रूसी अधिकारी रूस के खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहे थे। हम उन्हें व उनके परिवार को देश छोड़ने के लिए सात दिन का समय देते हैं। गौरतलब है कि कि ब्रिटेन इस मामले में पहले ही 23 रूसी राजनयिकों को देश से निकाल चुका है।

पॉलैंड में रूसी जासूस गिरफ्तार
पॉलेंड की खुफिया एजेंसी एबीडब्लू ने दावा किया है कि उन्होंने एक रूसी जासूस को हिरासत में लिया है। एजेंसी के मुताबिक, कथित जासूस की पहचान मैरेक डब्लू नाम से हुई है और वह एक पुलिस अधिकारी है, जो रूसी खुफिया एजेंसी के लिए नॉर्डस्ट्री-2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी जुटा रहा था। यह पाइपलाइन बाल्टिक सागर से होकर गुजर रही है। पॉलेंड ने इस मामले में रूसी राजदूत को तलब किया है।

हम जवाबी कार्रवाई को विवश : रूस

रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिकों के खिलाफ हुई इस कार्रवाई के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के कड़े संदेश दिए। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘नाटो और ईयू देशों द्वारा हमारे राजनयिकों को निकालने के इस फैसले का हम विरोध व्यक्त करते हैं। हम इसके खिलाफ गैर-दोस्ताना कदम उठाने को विवश हैं।

हम यह देख रहे हैं कि कुछ देश परिस्थितियों से वाकिफ हुए बिना हमारे खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। यह कदम संघर्ष बढ़ाएगा और टकराव की गतिविधियां बढ़ाएगा।’ मॉस्को ने यह भी कहा कि ब्रिटेन ने हम पर आधारहीन आरोप लगाए हैं। यह हमारे खिलाफ एक पूर्वाग्रह, पक्षपाती और दमनकारी कदम है।

क्या है मामला

 दरअसल, 66 वर्षीय स्क्रिपल और 33 वर्षीय यूलिया को ब्रिटेन में खतरनाक नर्व एजेंट रसायन देकर मौत के घाट उतार दिया गया था। ब्रिटेन का दावा है कि यह नर्व एजेंट सैन्य स्तर का और रूस में निर्मित है। जिसके बाद टेरीजा मे ने रूस के खिलाफ कार्रवाई की। हालांकि रूस लगातार इन आरोपों का खंडन कर रहा है। ब्रिटिश कार्रवाई के बाद रूस ने भी 23 ब्रिटिश राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।