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अभी-अभी आई बुरीखबर: पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस हादसे का हुई शिकार, खौफनाक मंजर देख यात्रियों में मची अफरा-तफरी

पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस शनिवार शाम हादसे का शिकार हो गई। इसमें 23 लोगों की मौत हो गई जबकि 80 से अधिक लोग घायल हो गए। दुर्घटना के दौरान उत्कल एक्सप्रेस में सवार एक लेखपाल और सहायक ने मौके का हाल बताया। यात्रियों के मुताबिक वो मंजर काफी खौफनाक था। उन्होंने कहा कि कुछ पलों के लिए हमारा मौत से आमना-सामना हुआ।
मौत से हुआ आमना-सामना
उत्कल एक्सप्रेस में सवार चकबंदी लेखपाल मैन कुमार और सहायक तेजेंद्र ने मौत को काफी करीब से देखा। इन दोनों चश्मदीदों के अनुसार अचानक जोरदार धमाका हुआ तो हम तेज झटका लगने से सीट से नीचे आ गिरे। किसी तरह बोगी से बाहर निकलकर देखा तो बहुत खौफनाक मंजर था। दूर-दूर तक चीख पुकार मची थी। कई यात्री घायल और मृत अवस्था में पड़े थे।

तेज झटके के साथ रुक गई ट्रेन
देवबंद निवासी लेखपाल मैन कुमार और देवबंद थाना क्षेत्र के गांव भदपुर निवासी सहायक तेजेंद्र मोदीपुरम के चकबंदी ऑफिस में कार्यरत हैं। शनिवार शाम ये दोनों लोग ऑफिस बंद होने के बाद ट्रेन से देवबंद जा रहे थे। लेकिन खतौली में ट्रेन हासे का शिकार हो गई। लेखपाल मैन कुमार ने बताया कि वह तो ट्रेन में आराम से बैठे हुए थे। तभी जोरदार धमाका हुआ और तेज झटके के साथ ट्रेन रुक गई।

उन्होंने बताया कि कुछ पलों तक तो हमें होश ही नहीं आया। जब संभले तो देखा कि सब एक-दूसरे के ऊपर-नीचे पड़े थे। हम दोनों भी घायल हो चुके थे। किसी तरह ट्रेन की बोगी से बाहर निकले तो देखा कि कई बोगियां पलटी हुई थीं। बच्चे, महिलाएं और पुरुष मदद के लिए चीख रहे थे। दूर-दूर तक खून ही खून दिखाई दे रहा था। चारों तरफ चीख पुकार मची थी। किसी को कुछ नहीं पता था कि कौन कहां है। सब एक-दूसरे को देखकर घबराए हुए थे।

मंजर देखकर रूह कांपी
तेजेंद्र कुमार के अनुसार मौत सामने थी और ट्रेन के पलटने पर आंखें बंद हो गई थीं। मंजर खौफनाक था, जिसे देखकर रूह कांप रही थी। पेशी कानूनगो संजीव चौहान ने बताया कि हादसे के बाद मैनकुमार ने फोन के माध्यम से सूचना दी थी, जिसके बाद टीम मौके पर गई और घायलों का उपचार कराया गया। इसके अलावा अन्य लेखपालों की टीम भी खतौली हादसे में बचाव कार्य में लगी थी।

छुट्टी थी इसलिए जा रहे थे घर 
लेखपाल मैन कुमार और तेजेंद्र ने बताया कि वह मोदीपुरम में ही किराए पर रहते हैं। रविवार की छुट्टी थी तो ट्रेन से घर जा रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि यह हादसा हो जाएगा। जीवन में पहली बार ऐसा हादसा देखा है। हमारा तो मौत से आमना-सामना हुआ। यह भीषण हादसा था। पता नहीं कितनों की मौत हुई होगी।

 

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