Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

अफवाहों पर लगाम लगाने में तकनीकी दिक्कतों की चुनौती

कुछ सालों में जिस तेजी से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स ने समाज में पैठ बनाई है, उस तेजी से इनसे उपजने वाली दिक्कतों से निपटने के उपायों पर भी काम होना चाहिए। वस्तुत: फेसबुक, वॉट्सएप, टि्वटर या इंस्टाग्राम सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म समाज में बेहतरी के लिए बनाए गए हैं, लेकिन आपराधिक तत्व या असामाजिक दृष्टिकोण वाले लोग इनका दुरुपयोग भी कर गुजरते हैं। कई बार ऐसा भी होता है जब सामान्य लोग भी अनजाने में ही इनका दुरुपयोग कर जाते हैं और वे कानून के दायरे में आ जाते हैं। सिमी से जुड़े आठ कैदियों के केंद्रीय जेल भोपाल से भागने और एनकाउंटर में मारे जाने के बाद जिस तरह से सोशल मीडिया पर कमेंट्स और मैसेजेस शेयर हुए, ये इसका ताजा उदाहरण है। इस घटना को लेकर लाखों लोगों के बीच काफी कुछ सामग्री ऐसी भी शेयर हुई, जो भ्रम फैलाने वाली रही। इस तरह के हालात को काबू में करने के लिए तमाम कानून हैं और पुलिस-प्रशासन पूरी क्षमता से उनका उपयोग भी करते हैं।4828397_g_03_11_2016

दरअसल, नए दौर में सोशल मीडिया अफवाहों का नया अड्डा भी बनता जा रहा है। यहां काफी कुछ ऐसा भी शेयर होता है, जिसे आमने-सामने की बातचीत में लोग कभी न कहना चाहेंगे। छद्म आइडेंटिटी के जरिए ऐसा करना और आसान हो जाता है। मगर ऐसी छद्म कोशिशों या अफवाह-भ्रम फैलाने के प्रयासों को रोकने के लिए कड़े कानून हैं। मसलन, आईटी एक्ट की धारा 66-एफ पुलिस को इस बात का अधिकार देती है कि यदि कोई आईटी के किसी टूल के जरिए अफवाह या भ्रम फैलाने, उन्माद भड़काने आदि का काम करता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। इसी तरह भारतीय दंड विधान की धारा 153-ए में ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार है, जो दो समाजों में वैमनस्य फैलाने की कोशिश करते हों। दरअसल, पुलिस दो तरीकों से कार्रवाई कर सकती है। एक, यदि कोई शिकायत करे और दूसरा स्वप्रेरणा से। जरूरी होने पर पुलिस विभाग स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई करता भी है।हालांकि ये एक तथ्य है कि फेसबुक, वॉट्सएप या टि्वटर आदि के मुख्यालय और सर्वरविदेशों में होने से जानकारी पाना थोड़ा मुश्किल होता है। मगर, इन्होंने अपनी प्रक्रिया निर्धारित की है कि कोई लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसी मांग करती है तो ये जानकारी देते हैं। हालांकि इसमें समय लगता है। वॉट्सएप प्रबंधन की ओर से तो कई बार ये जवाब मिलता है कि उनका कोई सर्वर नहीं है इसलिए उनके पास रिकॉर्ड नहीं रहता। ऐसे में पुलिस के सामने सोशल मीडिया की पेचीदगियों और तकनीकी दिक्कतों से निपटने की चुनौती तो है, लेकिन इससे पूरी गंभीरता से निपटने के प्रयास जारी हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.