Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

अपने मूल एजेंडे पर मोदी सरकार की धीमी रफ्तार से चिंतित है संघ

अनुषांगिक संगठनों के साथ तीन दिन से जारी बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने मूल एजेंडे पर केंद्र की मोदी सरकार की धीमी रफ्तार चिंता जताई है। राम मंदिर, अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास, नई शिक्षा नीति जैसे अहम मुद्दों पर सुस्ती से असहज संघ ने सरकार को अगले छह माह में कदम बढ़ाने को कहा है। साथ ही उसने दलितों और मध्य वर्ग की बदल रही धारणा को लेकर भी सरकार और भाजपा को आगाह किया है। 

महाराष्ट्र भवन और इसके बाद उदासीन आश्रम में हुई बैठक के दौरान संघ ने करीब एक दर्जन मंत्रियों को तलब कर संबंधित मंत्रालयों से जुड़े मसलों पर चर्चा की। संघ के सूत्र ने बताया कि संगठन की चिंता अपने मूल मुद्दों को लेकर है, जिस पर अब तक कोई सार्थक कार्य नहीं हुआ है। इसके अलावा आर्थिक, श्रम और कृषि क्षेत्र में अनुषांगिक संगठनों के सुझावों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। बैठक में अनुषांगिक संगठनों की राय जानने के बाद संघ ने सरकार को अपनी ओर से आगाह कर दिया है।

दलित और मध्य वर्ग संघ की चिंता

संघ दलित और मध्य वर्ग की बदल रही धारणा से भी चिंतित है। संघ में वर्ष 2015 में पहली बार सह सरकार्यवाह पद पर पहुंचे दलित बिरादरी के भागय्या ने हिंदुओं में समरसता बनाने के लिए एक कुआं, एक मंदिर, एक श्मशान अभियान शुरू किया था।

तब संघ ने भाजपा शासित राज्यों में इसे जोरशोर से चलाने की सलाह दी थी। मगर राज्य सरकारों और भाजपा के राज्य संगठनों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके उलट पार्टी शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ गई हैं। यही कारण है कि संघ ने सरकार और भाजपा को इस अभियान की याद दिलाई और मध्य वर्ग के लिए छह महीने के अंदर रोजगार, लघु उद्योग क्षेत्र में ठोस पहल करने की सलाह दी है।

ये लोग हुए शामिल
बैठक में संघ से सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, कृष्ण गोपाल, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य और सभी अनुषांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। पहले दिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संघ के नेताओं से मुलाकात की। इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल, थावरचंद गहलोत, संतोष गंगवार, गिरिराज सिंह, राज्यवर्धन राठौड़ और शिवप्रताप शुक्ल ने अलग-अलग समय में बैठक में हिस्सा लिया।