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नोटबंदी: विश्व बैंक ने विकास दर का अनुमान घटाकर किया 7 फीसदी ‌

नोटबंदी के बाद भारतीय बाजार पर चौतरफा मार पड़ी है और अब विश्व बैंक ने भी ये महसूस किया है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।railway-station_1484167245
 
बुधवार को जारी विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में हालांकि आगामी वर्षों के दौरान 7.6 फीसदी और 7.8 फीसदी की रफ्तार से भारत की तरक्की का अनुमान लगाया गया है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में अचानक बड़े नोटों का चलन बंद कर नए नोट लाने के फैसले के कारण 2016 में भारत की विकास दर धीमी पड़ी है।

नवंबर में नोटबंदी के बाद अपनी पहली रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा, ‘31 मार्च 2017 को समाप्त वित्त वर्ष तक तेल की घटती कीमत और बेहतर कृषि उत्पादन की बदौलत ही भारत की विकास दर 7 फीसदी की मजबूत स्थिति में रहेगी और नोटबंदी का इस पर मामूली असर रहेगा।’ 

भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का रुतबा बरकरार रखा है। विश्व बैंक ने कहा कि उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़ेगी। भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2018 में 7.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2019-20 में 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

विभिन्न सुधारवादी उपायों से घरेलू आपूर्ति की बाधाएं दूर होने और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। अधोसंरचना खर्च से कारोबारी माहौल बेहतर होगा और निकट भविष्य में निवेश आकर्षित होगा। घरेलू मांग और नियामक सुधारों की बदौलत ‘मेक इन इंडिया’मुहिम से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती मिल सकती है।

वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में विश्व बैंक का यहां तक मानना है कि मामूली महंगाई और सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि से भी वास्तविक आय और खपत को मदद मिलेगी। साथ ही अनुकूल मानसूनी बारिश के बाद हुई बंपर पैदावार से भी मदद मिल सकती है। नोटबंदी से एक फायदा यह हुआ कि मध्यावधि में बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ी।

 
 

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